Lal Ghati History: मोहम्मद खां के धोखे से बहा था भोपाल में खून, जानिए कैसे बनी थी लाल घाटी
Lal Ghati History: एमपी के इतिहास से जुड़ी हुई कई कहानियां इतिहास में प्रचलित है. एमपी की इतिहास काफी गौरव शाली रहा है, यहां पर कई लड़ाईयां लड़ी गई हैं. हालांकि हम आपको बताने चल रहे हैं भोपाल की लाल घाटी की कहानी के बारे में. इस घाटी का इतिहास काफी ज्यादा दिलचस्प है.
इस घाटी का इतिहास काफी ज्यादा भयानक रहा है, यहां पर बहे खून की वजह से इसका नाम लाल घाटी पड़ा. इस घाटी को लाल करने के लिए दोस्त मोहम्मद खां ने धोखे का सहारा लिया था.
भोपाल का पहला नवाब दोस्त मोहम्मद खां बैरसिया के पास का एक जमींदार था. वह भोजपाल नगरी को अपने कब्जे में करना चाहता था.
भोजपाल पर कब्जा करने से पहले उसे जगदीशपुर के राजा ‘नरसिंह राव चौहान’ से जीतना पड़ता लेकिन ये इतना आसान काम नहीं था.
ऐसे में मोहम्मद खां ने धोखे का सहारा लिया उसने नरसिंह राव चौहान को एक मैत्री भोज यानि दोस्ती के नाम पर साथ भोजन करने का आमंत्रण दिया.
दोस्त खां के भेजे गए आमत्रण को नरसिंह राव चौहान ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद दोनों पक्षों से 16-16 लोग इस संधि में शामिल हुए.
दोनों पक्षों से 16-16 लोग इस संधि में शामिल हुए, दोस्त मोहम्मद खां ने थाल नदी के किनारे तंबू लगवाए और एक भोज का आयोजन किया.
मोहम्मद खां ने उनलोगों पर हमला करवा दिया, जिसके बाद मोहम्मद खां के सैनिकों ने बड़ी बेरहमी से नरसिंह राव चौहान के सारे सैनिकों की हत्या कर दी. इतना भीषण था कि नदी का पानी खून से लाल हो गया, इसकी कारण उस दिन से इस नदी का नाम हलाली नदी हो गया.
हालांकि इसके बाद नरसिंह राव ने जगदीश पुर पर चढ़ाई की लेकिन उसकी सेना दोस्त मोहम्मद खां के सामने टिक नहीं पाई और सेना के खून से नहाकर घाटी लाल हो गई और तब से ही इस घाटी का नाम लालघाटी पड़ गया.