देश की सबसे प्राचीन कुबेर प्रतिमा पर कपड़े धोते थे विदिशा के लोग, रोचक है कहानी
Vidisha News: भगवान कुबेर को धन के देवता के रूप में पूजा जाता है. धनतेरस और दिवाली के दौरान भक्त कुबेर महाराज के दर्शन करने जाते हैं. आज हम आपको मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित देश की सबसे पुरानी कुबेर प्रतिमा के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां विदिशा के लोग उनकी मूर्ति को पत्थर समझकर उस पर कपड़े धोते थे.
मध्य प्रदेश के विदिशा में धन के देवता कुबेर की खड़ी मुद्रा में 12 फीट ऊंची बलुआ पत्थर की मूर्ति है.धनतेरस के अवसर पर लोग दूर-दूर से यहां दर्शन के लिए आते हैं.
पुरातत्वविदों के अनुसार यह मूर्ति दूसरी शताब्दी की है और संभवत यह देश की सबसे ऊंची मूर्ति है. करीब 12 फीट ऊंची और 2.5 फीट चौड़ी कुबेर की यह मूर्ति एक ही पत्थर से निर्मित है.
इस मूर्ति में भगवान कुबेर सिर पर पगड़ी पहने हुए हैं. उनके कंधे पर उत्तरीय, कानों में बालियां और गले में कंठ है. मूर्ति के एक हाथ में एक थैला भी है, जिसे धन की पोटली माना जाता है.
चूंकि प्रतिमा पुरातत्व संग्रहालय में रखी है इसलिए यहां पूजा की अनुमति नहीं है. इसलिए श्रद्धालु धनतेरस पर अपने घरों में पूजा करने के बाद कुबेर की प्रतिमा देखने संग्रहालय पहुंचते हैं.
कुबेर जी की प्रतिमा पर कपड़े धोते थे लोग
पुरातत्वविदों के अनुसार इस मूर्ति की खोज के पीछे एक रोचक कहानी है. उनके अनुसार सैकड़ों सालों से यह मूर्ति शहर से होकर गुजरने वाली बेस नदी में पेट के बल पड़ी थी. आस-पास रहने वाले लोग इसे नॉर्मल चट्टान समझकर इस पर कपड़े धोते थे.
1954 के आसपास जब नदी का जलस्तर कम हुआ तो मूर्ति के कुछ हिस्से साफ दिखाई देने लगे. पुरातत्व विभाग की टीम मूर्ति को सर्किट हाउस ले आई. बाद में जब पुरातत्व संग्रहालय बना तो उसके मुख्य द्वार पर मूर्ति स्थापित कर दी गई.
पुरातत्वविदों के अनुसार प्राचीन काल में विदिशा व्यापार का बड़ा केंद्र था. उस समय के लोगों ने धन के देवता कुबेर की पूजा करने के लिए इस मूर्ति का निर्माण कराया होगा. उन्होंने बताया कि यह मूर्ति दूसरी शताब्दी की है.