भक्त के लिए कोर्ट में वकील बनकर पहुंचे भोलेनाथ, अंग्रेजों के लिए लड़ी जंग, पढ़ें बाबा बैजनाथ के चमत्कार की कहानी

Baba Baijnath: मध्यप्रदेश के आगर मालवा में एक ऐसा अद्भुत अति प्राचीन शिव मंदिर है, जिसका जीर्णोद्धार एक अंग्रेज कर्नल ने करवाया था. बाबा बैजनाथ के प्रसिद्ध मंदिर से कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं. इस मंदिर से एक ऐसा ही दावा जुड़ा हुआ है, जिसमें भगवान स्वयं अपने वकील भक्त का रुप धरके कोर्ट में पहुंचे ओर जिरह करके केस जीता गए. एक अंग्रेज कर्नल की पत्नी ने अनुष्ठान कराया तो भगवान स्वयं अंग्रेजो की ओर से युद्ध लड़ने मैदान में उतर गए. अंग्रेजों को जीत दिला दी. इस प्रसिद्ध मंदिर में वर्षभर बड़ी संख्या में दर्शनार्थी दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है.

महेंद्र भार्गव Mon, 22 Jul 2024-7:31 am,
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ब्रिटिश शासन

बैजनाथ महादेव मंदिर से कई चमत्कारीक घटनाएं जुड़ी हुई हैं. इतिहास में दर्ज घटनाओं में से एक सन 1879 से है. जब भारत में ब्रिटिश शासन था. अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया. युद्ध का संचालन आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया. कर्नल मार्टिन समय-समय पर युद्ध क्षेत्र से अपनी पत्नी को कुशलता के समाचार भेजते रहते थे.

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मंदिर पहुंची पत्नी

युद्ध लम्बा चला और संदेश आना बंद हो गये. तब उसकी पत्नी लेडी मार्टिन को चिंता सताने लगी कि कहीं कुछ अनर्थ न हो गया हो. अफगानी सैनिकों ने मेरे पति को न मार डाला हो, चिन्तातुर लेडी मार्टिन एक दिन घोड़े पर बैठकर घूमने जा रही थी. मार्ग में किसी मंदिर से आती हुई शंख व मंत्र ध्वनि ने उसे आकर्षित किया और वह मंदिर में पहुंच गई. 

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मंदिर में अनुष्ठान

बैजनाथ महादेव के इस मंदिर में शिवपूजन कर रहे पंडितों ने उनसे पूछा कि क्या बात है, तो उसने मन की बात कह दी, जिस पर पूजा कर भगवान भोलेनाथ से कामना करने का पंडितों ने कहा, पंडितों की सलाह पर उसने वहॉ ग्यारह दिन का ॐ नम: शिवाय मंत्र से लघुरूद्री अनुष्ठान आरम्भ किया तथा प्रतिदिन भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिये प्रार्थना करने लगी कि हे भगवान शिव, यदि मेरे पति युद्ध से सकुशल लौट आयें तो मैं बैजनाथ महादेव का शिखर बंद मंदिर बनवाऊंगी.

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अफगानी सेना ने घेरा

लघु रूद्री की पूर्णाहुति के दिन भागता हुआ एक संदेशवाहक शिवमंदिर में आया और लेडी मार्टिन को एक लिफाफा दिया. उसने घबराते- घबराते लिफाफा खोला और पढ़ने लगी. पत्र उसके पति ने लिखा था, पत्र में लिखा था कि हम युद्धरत थे और तुम तक संदेश भी भेजते रहे, लेकिन अचानक हमें चारों ओर से पठानी सेना ने घेर लिया था. 

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फिर हुआ चमत्कार

ब्रिटिश सेना कट मरती और मैं भी मर जाता. ऐसी विकट परिस्थिति में हम घिर गये थे कि प्राण बचाकर भागना भी अत्यधिक कठिन था. इतने में सहसा मैंने देखा कि युद्ध भूमि में भारत के कोई एक योगी, जिनकी बड़ी लम्बी जटाएं थीं. हाथ में तीन नोंक वाला एक हथियार (त्रिशूल) था. वे बड़े तेजस्वी और बलवान पुरुष अपना त्रिशूल घुमा रहे हैं. 

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खुद आए शिव

उनका त्रिशूल इतनी तीव्र गति से घूम रहा था कि पठान सैनिक उन्हें देखकर ही भागने लगे. उनकी कृपा से घेरे से निकलकर पठानों पर वार करने का हमें मौका मिल गया और हमारी हार की घड़ियां एकाएक जीत में बदल गईं. 

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भाग गई सेना

यह सब भारत के उन वाघ बरधारी एवं त्रिशूलधारी योगी के कारण ही संभव हुआ. उनके महातेजस्वी व्यक्तित्व के प्रभाव से देखते ही देखते अफगानिस्तान की पठानी सेना भाग खड़ी हुई और वे परम योगी मुझे हिम्मत देते हुए कहने लगे घबराओ नहीं. मैं भगवान शिव हूँ तथा तुम्हारी पत्नी की शिव पूजा से प्रसन्न होकर में तुम्हारी रक्षा करने आया हूं.

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जिर्णोद्धार

युद्ध से लौटकर मार्टिन दंपति दोनों ही नियमित रूप से बैजनाथ महादेव मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करने लगे. अपनी पत्नी की इच्छा पर कर्नल मार्टिन ने सन् 1883 में बैजनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जिसका शिलालेख आज भी आगर-मालवा के इस मंदिर में लगा है. पूरे भारत भर में अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह एकमात्र हिन्दू मंदिर है. इसी तरह कई प्राचीन चमत्कारी घटनाएं आज भी भक्तों को बरबस ही मंदिर की ओर खींच लाता है.

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वकील बने शिव

प्राचीन कथाओं में पुराणों में आपने सुना होगा कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए अलग अलग समय में अलग अलग रूप धरकर धरती पर आते हैं, लेकिन क्या आपने सुना है कि भक्त की भक्ति में बाधा न आए इसके लिए भगवान ने खुद अपने भक्त का रूप धारण किया, जी हां आगर मालवा के इस मंदिर से एक ऐसा ही दावा जुड़ा हुआ है जिसमे भगवान स्वयं अपने वकील भक्त का रुप धरके कोर्ट में पहुंचे ओर जिरह करके केस जीता गए.

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कोर्ट में लड़ा केस

बाबा बैजनाथ के अनन्य भक्त रहे आगर निवासी स्व. जयनारायण बापजी वकील सा. की एक प्रचलित कथा के अनुसार वकील जयनारायण बापजी आगर कोर्ट में वकालात करते थे. नियमित रूप से महादेव दर्शन के लिए इसी बैजनाथ मंदिर में जाते थे. ध्यान लगाते थे. ऐसे ही एक बार वे महादेव के ध्यान में इतने मग्न हो गए कि अपने पक्षकार की पैरवी के लिए न्यायालय में समय पर नहीं पहुंच पाए. जब ध्यान भंग होने के पश्चात् न्यायालय पहुंचे तो वहां पर उन्हें मालूम हुआ कि वे अपने पक्षकार की पैरवी कर चुके हैं और केस जीत चुके हैं. वह केस डायरी आज भी संभाल कर रखी हुई है. ऐसा बताया जाता है कि जिस जगह यह डायरी रखी हुई थी उस घर में आग लग गई थी जिससे पूरे घर का सामान जल गया लेकिन केवल वही अलमारी जलने से बची जिसमे यह डायरी रखी हुई थी.

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