कौन हैं राजा सहस्त्रबाहु, जिनका मां नर्मदा और भगवान परशुराम से है संबंध

Parsuhram Jayanti 2024: पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के 6वें अवतार परशुराम और सुदर्शन चक्र के अवतार सहस्त्रबाहु के बीच नर्मदा नदी के तट पर युद्ध हुआ था. यहां भगवान परशुराम ने सहस्त्रबाहु का वध किया था. मध्य प्रदेश के महेश्वर में सहस्त्रार्जुन को समर्पित राज राजेश्वर मंदिर मौजूद है.

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पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के हाथों में रहने वाले सुदर्शन चक्र को खुद पर घमंड हो गया था. सुदर्शन चक्र को कभी ना हारने का घमंड हो गया था. साथ ही चक्र की युद्ध लड़ने की लालसा खत्म ही नहीं हो रही थी. घमंड में आकर चक्र ने भगवान विष्णु से ही युद्ध करने की इच्छा जता दी थी. 

 

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सुदर्शन चक्र की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान विष्णु ने धरती पर भगवान परशुराम के रूप में अपना 6वां अवतार लिया और सुदर्शन चक्र ने सहस्त्रार्जुन का अवतार लिया था. ऐसा कहा जाता है कि सहस्त्रबाहु त्रेतायुग के एक महा बलशाली राजा थे.  

 

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कथाओं के अनुसार, एक दिन सहस्त्रबाहु अपनी सेना के साथ जमदग्नि ऋषि के आश्रम में विश्राम के लिए रुके थे. तभी वहां उन्होंने कामधेनु गाय को देखा था. कामधेनु एक पूर्ण श्वेत गाय थी, कहते हैं की इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है. सहस्त्रबाहु ने कामधेनु गाय को अपने साथ लेकर जाने के इच्छा व्यक्त की थी लेकिन महर्षि जमदग्नि ने गाय को देने से मना कर दिया था.   

 

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महर्षि जमदग्नि के मना करने पर सहस्त्रबाहु को बहुत गुस्सा आया और क्रोधित हो कर उन्होंने ऋषि जमदग्नि के आश्रम को तहस नहस कर दिया था. फिर सहस्त्रबाहु कामधेनु गाय को जबरदस्ती अपने साथ लेकर जाने की कोशिश करने लगे लेकिन कामधेनु गाय सहस्त्रबाहु के हाथों से छूट कर स्वर्ग की तरफ चली गईं. 

 

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जब भगवान परशुराम आश्रम पहुंचे तो वहां की हालत देख कर हैरान रह गए. परशुराम को उनकी माता रेणुका ने सारी बात बताई. भगवान परशुराम माता पिता का अपमान और आश्रम की हालत देखकर क्रोधित हो गए. तभी भगवान परशुराम ने सहस्त्रबाहु और उसके वंश का नाश करने का संकल्प लिया था. 

 

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सहस्त्रबाहु का वध करने भगवान परशुराम नर्मदा नदी के तट के पास माहिष्मति राज्य पहुंचे. वहां दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ.  युद्ध में भगवान परशुराम ने सहस्त्रबाहु की सारी भुजाओं को अपने फरसे से काटकर उनका वध कर दिया.  पौराणिक कथा के अनुसार, जब सहस्त्रबाहु की 4 भुजाएं बची थी तो उन्होंने भगवान शिव और भगवान विष्णु से आग्रह किया की राज राजेश्वर का मंदिर में उन्हें समाहित कर लिया जाए.  भगवान ने उनकी इच्छा पूरा कि और उनकी दिव्य ज्योति को शिवलिंग में समाहित कर दिया गया. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की महेश्वर में सहस्त्रबाहु को समर्पित मंदिर मौजूद है.  इस स्थान को सहस्त्रबाहु समाधि स्थल के रूप में भी जाना जाता है.   

 

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सहस्त्रबाहु के वध के बाद अपने पिता के आदेश पर भगवान परशुराम तीर्थ यात्रा पर चले गए थे. बदला लेने के इरादे से सहस्त्रबाहु के पुत्रों ने अपने सहयोगी क्षत्रियों की मदद से जमदग्नि ऋषि का सिर काट दिया था. साथ ही आश्रम के सभी ऋषियों का वध कर आश्रम को जला दिया था. फिर मां रेणुका ने पुत्र परशुराम को विलाप स्वर में पुकारा. मां की पुकार सुनकर परशुराम आश्रम आए और पिता का कटा हुआ सिर और उनके शरीर पर 21 घाव देखे. 

 

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यह देखकर भगवान परशुराम क्रोधित हो गए और उन्होंने शपथ ली कि उस वंश का सर्वनाश करेंगे साथ ही उसके सहयोगी समस्त क्षत्रिय वंशों का 21 बार संहार कर भूमि को क्षत्रिय विहिन कर देंगे. पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि ऋचीक ने स्वयं प्रकट होकर भगवान परशुराम को ऐसा घोर कृत्य करने से रोका था. डिस्क्लेमर: ये जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं.

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