Ram Raja colony in Orchha: ओरछा में मिली सदियों पुरानी कॉलोनी, तस्वीरों में देखें कैसे रहते थे राम राजा की नगरी में मंत्री

Ram Raja colony in Orchha: मध्य प्रदेश का धार्मिक और पर्यटन नगरी ओरछा की खुदाई में 500 साल पुरानी कॉलोनी मिली है. इससे ये साबित होता है कि 15वीं शताब्दी में भी ओरछा सबसे विकसित रियासतों में शामिल था, तस्वीरों में देखें खुदाई में क्या-क्या मिला...

Tue, 27 Dec 2022-3:06 pm,
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ओरछा की स्थापना 15वीं सदी में बुन्देला राजा रूद्र प्रताप सिंह ने की थी. इसके बाद भारती चन्द्र, मधुकरशह ने राज्य का काम संभाला और यहां कई निर्माण कराए. इसे दौरान ओरछा में कई कॉलोनियों का निर्माण हुआ, दो अब खुदाई में निकलकर सामने आ रही है.

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ओरछा के जहांगीर महल के दक्षिणी भाग खुदाई का काम कराया जा रहा है. किले परिसर के 600 मीटर के क्षेत्र में मकान आदि के अवशेष एवं अन्य सामग्री भी मिली हैं. मजदूरों से संभलकर खुदाई कराई जा रही है.

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अब तक की खुदाई में यहां पर दो कॉलोनियों के अवशेष मिले है. पुराने आलीशान मकानों अवशेष के साथ ही सड़क, उस समय के मिट्टी और टेराकोटा के बर्तनों के साथ ही अन्य चीजें मिल है. दावा किया जा रहा है कि ये 500 साल पुरानी विकसित संस्कृति एवं सभ्यता से जुड़ी हुई निशानी हैं.

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इन कॉलोनियों को देखकर पता चलता है कि उस समय भी ओरछा राज्य को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए राजा द्वारा अपने मंत्री, बजीर एवं सूबेदारों को कॉलोनी बनाकर रखा जाता था.

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इससे सभी की सुरक्षा के साथ ही राजकीय कार्य में सुविधा होती होगी, यहां पर मिल रहे अवशेषों से स्पष्ट होता है कि यह पूरा निर्माण एक सुरक्षित कैंपस नुमा एरिया रहा होगा.

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ओरछा की स्थापना 15वीं सदी में बुन्देला राजा रूद्र प्रताप सिंह ने की थी, ओरछा अपने राजा महल, रामराजा मंदिर, शीश महल, जहांगीर महल आदि के लिये प्रसिद्ध है. बुन्देला शासकों के दौरान ही ओरछा में बुन्देली स्थापत्य कला का विकास हुआ है. ओरछा में बुन्देली स्थापत्य के उदाहरण स्पष्ट तौर पर देखे जा सकते है, जिसमें यहां की इमारतें, मंदिर, महल, बगीचे आदि शामिल है.

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बता दें महाराजा रूद्रप्रताप सिंह ने रविवार 29 अप्रैल सन 1531 को ओरछा किले की नीव डाली गई और उसके कुछ माह पश्चात 1531 में ही एक चीता से गाय को बचाते समय उनकी मृत्यु हो गई. उसके पश्चात ओरछा का राज्य उनके जेष्ट पुत्र भारती चन्द्र ने संभाला और 1554 में पुत्रहीन वह स्वर्गवासी हो गये. फिर उनके छोटे भाई मधुकरशह ने राज्य की बागडोर संभाली और 1554 से 1592 तक मधुकारशाह ओरछा के राजा रहे. इसी काल में ओरछा में राम मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, चर्तुभुज मंदिर आदि का निर्माण हुआ.

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लगभग 252 वर्ष तक ओरछा राजधानी रही और उसके बाद सन 1840 मे यहां से हटाकर टीकमगढ़ को राजधानी बनाया गया. कहते है कि भगवान श्रीराम ने अयोध्या से ओरछा आते समय महारानी कुंवर गणेश से यह शर्तानुसार तय कर लिया था कि जहां बे रहेंगे वहां कोई दूसरा राजा न रहेगा इसलिये ओरछा में भगवान राम की मान्यता राम राजा के रूप है और राम की प्रतिष्ठापना भी ओरछा में मंदिर नही महारानी के अपने महल में ही है.

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