समुद्र में बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत, जानिए Romeo के आने से NAVY को होगा कितना फायदा?
Romeo Helicopter: हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत महासागर में भारत की ताकत अब बढ़ गई है. दरअसल अमेरिका की दिग्गज हथियार निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत को दो MH-60R मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर की डिलीवरी कर दी है. अभी 19 हेलीकॉप्टर और भारत आने हैं. 3 हेलीकॉप्टर पिछले साल ही भारत आ चुके हैं. दरअसल भारतीय नौसेना ने 24 मल्टी रोल हेलीकॉप्टर का आर्डर लॉकहीड मार्टिन कंपनी को दिया था. बाकी हेलीकॉप्टर अगले 3 साल में भारतीय नौसेना को मिल जाएंगे. यह हेलीकॉप्टर बेहद एडवांस्ड माने जाते हैं.
Romeo Helicopter in India
इन हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हिंद और प्रशांत महासागर में निगरानी के लिए किया जाएगा. इसके अलावा जासूसी, वीआईपी मूवमेंट, हमला करने और सबमरीन खोजने में भी इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाता है.
Romeo Helicopter in India
रोमियो हेलीकॉप्टर में कई तरह के सेंसर लगे हैं और इसे विभिन्न हथियारों से लैस किया जा सकता है. ये हेलीकॉप्टर एंटी सबमरी और एंटी सरफेस वारफेयर के तौर पर डिजाइन किया गया है. इन हेलीकॉप्टर का सौदा 2.6 बिलियन यूएस डॉलर में किया गया था. जिस तरह से चीन हिंद और प्रशांत महासागर में अपनी ताकत बढ़ा रहा है, उसे देखते हुए रोमियो हेलीकॉप्टर भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे.
Romeo Helicopter in India
यह हेलीकॉप्टर चौथी जेनरेशन के हैं औऱ इसे मिसाइल और टारपीडो से लैस किया जा सकता है. इसमें क्रू मेंबर्स समेत कुल 8-9 लोग बैठ सकते हैं. इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 10 किलो से ज्यादा है.
Romeo Helicopter in India
रोमियो एमएच 60 आर में दो टर्बोशैफ्ट इंजन लगे हैं. जो टेकऑफ के वक्त 1410 x2 किलोवाट की ताकत पैदा करते हैं. यह हेलीकॉप्टर एक बार में 830 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है और यह अधिकतम 12 हजार फीट की उंचाई पर उड़ान भर सकता है.
Romeo Helicopter in India
रोमियो हेलीकॉप्टर 270 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. जरूरत पड़ने पर यह 330 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से भी उड़ सकता है. इस पर दो मार्क 46 टॉरपीडो या एमके 50 टारपीडो लगाए जा सकते हैं. साथ ही इस पर 4-8 एजीएम 114 हेलफायर मिसाइल भी तैनात किए जा सकते हैं.
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इस हेलीकॉप्टर में गजब की मारक क्षमता है. बता दें कि हेलीकॉप्टर में 4 तरह की हैवी मशीनगन भी लगाई जा सकती है. इस हेलीकॉप्टर को अभी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की की नौसेना भी इस्तेमाल कर रही हैं.