BPSC Protest: बात दरअसल यह है कि छात्रों के साथ कोई नहीं है. छात्रों का करियर बनाने से पहले ये तमाम सर और राजनेता अपना करियर सेट करने में जुटे हैं. आंदोलनरत छात्रों को यह बात पहले समझ लेनी चाहिए.
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BPSC Protest: 7 दिसंबर, 2024 से आज 7 जनवरी, 2025 हो गया. पहले नॉर्मलाइजेशन को लेकर बीपीएससी अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया था और बिहार लोक सेवा आयोग कार्यालय का घेराव करने के लिए निकले थे. तब अभ्यर्थियों के साथ खान सर, रोहित सर, रमांशु सर और गुरु रहमान भी आ गए थे. सबने अपने अपने हिसाब से आंदोलन का साथ दिया. खान सर को पुलिस ने डिटेन कर लिया. बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन पर अपना पक्ष रखा और सब कुछ साफ हो गया. फिर 13 दिसंबर, 2024 को बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन किया गया, लेकिन पटना के बापू परीक्षा परिसर में बवाल हो गया. इस सेंटर की परीक्षा कैंसिल कर दी गई. उसके बाद से बीपीएससी अभ्यर्थी गर्दनीबाग में अनशन पर बैठ गए. फिर अनशनकारियों को तेजस्वी यादव, पप्पू यादव, प्रशांत किशोर के अलावा भाकपा माले का साथ मिला और उसके बाद आंदोलन हाईजैक होता गया. शुरुआती दिनों में अभ्यर्थियों का साथ देने वाले तमाम सर अब कहां हैं और आंदोलन किस स्थिति में है, इस पर कोई बात करने वाला नहीं है.
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इस बीच में पटना पुलिस ने 2 बार अभ्यर्थियों पर बलप्रयोग किया और पटना के गांधी मैदान में प्रशांत किशोर पर आरोप लगा कि आंदोलनकारियों को आगे कर वह भाग निकले. फिर कंबल प्रकरण हुआ और प्रशांत किशोर आलोचना के घेरे में आ गए. पप्पू यादव और प्रशांत किशोर के बीच बयानबाजियां भी हुईं और सोशल मीडिया पर दोनों के समर्थकों को आपस में लड़ते भिड़ते सबने देखा. फिर शुरू हुई चेहरा चमकाने की कोशिश.
प्रशांत किशोर ने सरकार को 48 घंटे का समय दिया और मांग पूरी न होने पर आमरण अनशन करने की चेतावनी दे दी. उधर, पप्पू यादव ने बिहार में चक्का जाम करने का ऐलान कर दिया. 2 जनवरी को पप्पू यादव आमरण अनशन पर बैठ गए और 3 जनवरी को पप्पू यादव चक्का जाम को सफल कराने के लिए खुद ही मैदान में कूद गए और सचिवालय हॉल्ट पर एक ट्रेन को रोका. उसके बाद वे इनकम टैक्स चौराहे तक पैदल मार्च पर निकले और फिर न जाने कहां चले गए.
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पप्पू यादव की कोशिश थी कि 4 जनवरी को पटना के 22 केंद्रों पर होने वाली परीक्षा में अभ्यर्थी नहीं पहुंच पाएं. खैर, ऐसा हुआ नहीं और बीपीएससी ने बापू परीक्षा परिसर में कैंसिल हुई परीक्षा को सफलतापूर्वक आयोजित किया और कहीं कोई बवाल नहीं हुआ. परीक्षा हो जाने के बाद आंदोलनरत अभ्यर्थियों ने कोर्ट की शरण लेने की बात कही और अपना आंदोलन जारी रखने की बात कही. परीक्षा हो जाने के बाद प्रशांत किशोर के आंदोलन को जारी रखने का कोई मतलब नहीं रह गया था.
वे आंदोलन खत्म करने के लिए सेफ पैसेज की तलाश में थे कि वैनिटी वैन के विवाद ने तूल पकड़ लिया. चारों तरफ चर्चा शुरू हुई कि प्रशांत किशोर करोड़ों की गाड़ी में करते क्या हैं? अनशन स्थल पर वैनिटी वैन का क्या मतलब है? किसी ने कुछ आरोप लगाया तो किसी ने कुछ. इस बीच एक महिला पत्रकार के वैनिटी वैन को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रशांत किशोर झुंझला गए और उन्होंने ऐसी बात कही, जिससे राजनीति में अकसर राजनेता बोलने से बचते रहते हैं. खैर आलोचना हुई और खूब हुई.
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प्रशांत किशोर को एक बार फिर चेहरा चमकाने का बहाना चाहिए था और वो बहाना पटना पुलिस ने उन्हें दे भी दिया. रविवार की रात और सोमवार की भोर में उन्हें गांधी मैदान से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी इस बिना पर हुई कि हाई कोर्ट की रूलिंग है कि गांधी मैदान किसी भी तरह के अनशन की अनुमति नहीं दी जा सकती. प्रशांत किशोर पर पहले ही तमाम धाराओं मुकदमे दर्ज हो चुके थे. गिरफ्तारी के बाद प्रशांत किशोर को पता नहीं कहां कहां ले जाया गया और फिर दोपहर बाद पटना के सिविल कोर्ट में पेशी हुई.
कोर्ट में भी कुछ ऐसा हुआ कि प्रशांत किशोर को अपना फेस वैल्यू बढ़ाने का एक और मौका मिल गया. जमानती धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए थे, लेकिन थाने से उन्हें जमानत नहीं मिली. कोर्ट ने जमानत तो दी लेकिन कुछ शर्तों के साथ और निजी मुचलके पर. प्रशांत किशोर ने जमानत की शर्तों को ठुकरा दिया. उसके बाद कोर्ट परिसर में गहमागहमी ज्यादा होने के बाद उन्हें बेउर जेल भेज दिया गया. इस बीच प्रशांत किशोर के वकीलों ने कोर्ट में एक बार फिर जिरह की और जमानत की शर्तों पर आपत्ति जताई.
कोर्ट ने प्रशांत किशोर के वकीलों की दलील से सहमति जताते हुए उन्हें बिना शर्त जमानत दे दी. शाम को प्रशांत किशोर जेल से बाहर आए और नीतीश कुमार भाजपा की सरकार के अलावा पटना पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर हुंकार भरी. प्रशांत किशोर ने कहा कि आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है और जहां से शुरू हुआ था, वहीं खत्म होगा. अब देखना यह है कि प्रशांत किशोर गांधी मैदान में फिर से आंदोलन करते हैं या फिर कोई और रणनीति अपनाएंगे.
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खैर, चेहरा चमकाने की बात है तो नॉर्मलाइजेशन और रिएग्जाम कराने की मांग के समर्थन में उतरे खान सर, रोहित सर, रमांशु सर और गुरु रहमान अब कहां हैं. ये लोग भी समय समय पर अपने अपने हिसाब से आंदोलन का साथ देते रहे हैं. अब जबकि बीपीएससी ने बापू परीक्षा परिसर की रद्द हुई परीक्षा फिर से करवा ली है तो इनका स्टैंड क्या है. चेहरे तो इनको भी चमकाने हैं. विधानसभा चुनाव सिर पर है तो इनमें से कइयों की महत्वाकांक्षाएं उबाल मार रही होंगी. पप्पू यादव या फिर प्रशांत किशोर के आंदोलन के साथ न होना बड़ी बात नहीं है लेकिन अब ये तमाम सर गर्दनीबाग क्यों नहीं जा रहे हैं? सवाल बड़ा है और उत्तर नदारद है.