देश का एकमात्र मंदिर जहां पत्नी के साथ विराजित है शनिदेव, विवाहित जोड़े को मिलता है फल
Shanidev mandir: देश का एकमात्र शनिदेव का मंदिर, जहां वह अपनी पत्नी के साथ पूजे जाते हैं. इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं है. इस मंदिर में पति-पत्नी के साथ में पूजा करने का खास महत्व है.
मान्यताओं के अनुसार,शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करने वाले व्यक्ति के दुखों का अंत होता है. कहा जाता है कि शनिदेव किए गए कर्मों का हिसाब करते हैं. ऐसे में शनिवार के दिन सच्चे मन से शनिदेव की पूजा करने का अपना एक अलग महत्व है.
छत्तीसगढ़ में शनिदेव का मंदिर
देशभर में शनिदेव के कई प्राचिन और प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन शनिदेव का एक ऐसा मंदिर है जो बाकी मंदिरों से अगल माना जाता है. छत्तीसगढ़ में शनिदेव का एकलौता ऐसा मंदिर है जहां वह अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं.
कहां है मंदिर
शनिदेव का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में है. भोरमदेव मार्ग से 15 Km की दूरी पर एक गांव छपरी है, जहां से 500 KM दूर पर मड़वा महल है. वहां के टेढ़े - मेढ़े पथरीले रास्तों को पार करते हुए करियाआमा गांव आता है, यहां पर शनिदेव का ये मंदिर स्थित है.
एकमात्र मंदिर
जानकारी के अनुसार ये शनिदेव का एकमात्र मंदिर है जहां शनिदेव और उनकी पत्नी की प्रतिमाएं साथ विराजमान में हैं. इस मंदिर में शनिदेव पत्नी स्वामिनी के साथ पूजे जाते हैं.
मंदिर का महत्व
मान्यता है कि पति-पत्नी अगर इस मंदिर में साथ में पूजा करते हैं तो उनके जीवन में कोई भी बाधा नहीं आती है. इस मंदिर में अगर विवाहित जोड़ा श्रद्धा पूर्वक अपना माथा टेकते हैं और सरसो का तेल चढ़ाते है तो उनका जीवन धन्य और शादीशुदा जीवन सरलता से चलता है.
साढ़े शाति दूर
शनिदेव के इस मंदिर में अगर कोई व्यक्ति सरसो का तेल चढ़ा कर अपना सिर शनि देव के चरणों में टेकता है तो उनके जीवन से साढ़े शाति का महादशा दूर हो जाती है.
शनिवार के उपाय
मध्य प्रदेश के पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी के अनुसार शनि देव को मदार का फूल बहुत ही प्रिय है, साथ ही शनिदेव का प्रिय पेड़ शमी है. अगर आप शनिवार की पूजा में ये दोनों चीजें शनि देव को चढ़ाते हैं तो आपके बिगड़े काम बन जाएंगे.