छत्तीसगढ़ में यहां है मां चंद्रहासिनी का मंदिर; नवरात्रि में जलाए जाते हैं इतने दीपक
Navratri 2024: नवरात्रि का पर्व आने वाला है, नवरात्रि में देवी मंदिरों में काफी संख्या में भक्त आते हैं, छत्तीसगढ़ में कई ऐसे मंदिर हैं जहां पर भक्तों का तांता लगता है. ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं जांजगीर चांपा में स्थित सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक मां चंद्रहासिनी देवी मंदिर के बारे में, यहां भक्तों का तांता लगता है. जानिए क्या है इसकी मान्यता.
नवरात्रि का पर्व आने वाला है, नवरात्रि में देवी मंदिरों में काफी संख्या में भक्त आते हैं, छत्तीसगढ़ में कई ऐसे मंदिर हैं जहां पर भक्तों का तांता लगता है. ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं जांजगीर चांपा में स्थित सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक मां चंद्रहासिनी देवी मंदिर के बारे में, यहां भक्तों का तांता लगता है. जानिए क्या है इसकी मान्यता.
जांजगीर चांपा जिले में स्थित छत्तीसगढ़ का सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक चित्रोत्पला गंगा महानदी के तट पर स्थित चनद्रपुर की छोटी सी पहाड़ी पर विराजमान हैं चंद्रहासिनी देवी मंदिर.
यहां पौराणिक एवं धार्मिक कथाओं की सुंदर झांकियां, महादेव पार्वती की लगभग 100 फीट की विशाल प्रतिमा आदि बनाई गई है. मां चंद्रहासिनी के दर्शन करने आने वाले भक्तों का मन मोह लेती हैं.
महानदी और माण्ड नदियों के बीच स्थित चंद्रपुर में मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक मां चंद्रहासिनी के रूप में विराजित है.
मां चंद्रहासिनी मंदिर में बलि चढ़ाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही थी. कहा जाता है कि यहां हर साल 1000 से 1500 बकरों की बलि दी जाती थी. बोर्ड पर दी गई जानकारी के मुताबिक चंद्रहासिनी मंदिर ट्रस्ट ने बलि प्रथा पर रोक लगा दी है.
मंदिर में अर्धनारीश्वर, हनुमान जी, कृष्ण लीला, चीरहरण, महिषासुर वध, चार धाम, नवग्रह सर्वधर्म सभा, शेषनाग और अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियां मौजूद हैं.
मंदिर में शीश महल, तारा मंडल के साथ-साथ महाभारत के पात्रों और कहानियों को दर्शाती झांकियां मौजूद हैं जो दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का मन मोह लेती हैं
ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रहासिनी देवी को उनके चंद्राकार गुणों के कारण चंद्रहासिनी और चंद्रसेनी मां के नाम से जाना जाता है. सिद्ध शक्तिपीठ मां चंद्रहासिनी देवी के मंदिर में हर साल नवरात्रि के दौरान महाआरती के साथ 108 दीपक जलाकर पूजा की जाती है