Power Crisis In MP: आकाश द्विवेदी/भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में आंदोलनो का दौरा जारी है. ये विरोध लगातार शिवराज सरकार की किरकिरी करने के साथ ही उसका शिरदर्द तो बढ़ा ही रहे हैं. इनसे प्रदेश की आम जनता को भी खासा परेशान होना पड़ रहा है. चुनावी साल में कर्मचारियों की आस है कि उनकी मांगे पूरी हो जाएंगी. इसी कारण अब पटवारियों के बाद प्रदेश के बिजलीकर्मी आंदोलन की राह पर हैं. अगर ये आंदोलन पर जाते हैं तो प्रदेश में बिजली की समस्या पैदा हो सकती है.


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समझौते के बाद नहीं मांगी मांग
आंदोलन की राह पर प्रदेश के बिजली कर्मचारी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा खोलने को तैयार हैं. इससे प्रदेश की बिजली व्यवस्था बिगड़ सकती है. ऐसा इसलिए भी की इस आंदोलन के लिए राज्य के तीन बड़े बिजली कर्मचारी संगठन साथ आ गए हैं. सभी कर्मचारी अपनी मांगे न मानने और बिजली कर्मियों की महापंचायत नहीं बुलाने से नाराज है. इस संबंध में उन्होंने ऊर्जा सचिव के लिखित समझौते के बाद भी मांगे पूरी नहीं होने का हवाला दिया है.


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कब से कैसा होगा आंदोलन
2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन उपवास ध्यान आकर्षण
6 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल
70000 बिजली कर्मी
52000 पेंशनर आंदोलन में शामिल


7 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन
- ज्वाइंट वेन्चर एवं टीबीसीबी वापिस लेंने
- पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था
- डी. आर. के आदेश
- चतुर्थ वेतनमान के आदेश
- संविदा का नियमितिकरण एवं सुधार उपरांत वर्ष 2023 संविदा नीति लागू करें
- आऊटसोर्स की वेतन वृद्धि के साथ 20 लाख का दुर्घटना बीमा
- 3000 रुपये जोखिम भत्ता करें समेत अन्य मांग


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चरमरा सकती है व्यवस्था
फिलहाल बिजली कर्मचारी 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन उपवास रख सरकार का आकर्षण करने की कोशिश करेंगे. इसके बाद भी उनकी मांग पर कोई फैसला या आश्वासन नहीं आता है तो वो 6 अक्टूबर से आंदोलन करेंगे. इसमें 70 हजार कर्मचारी और 52 हजार पेंशनर शामिल होंगे. इससे अब राजस्व के बाद बिजली व्यवस्था चरमरा सकती है.