क्या राष्ट्रपति की सुरक्षा करते हैं सिर्फ 3 जातियों के लोग, जानिए क्या है असलियत...
Presidential Oath Ceremony Live: नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ लेंगी. वह देश की 15वीं और पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी.
Draupadi Murmu Oath Ceremony 2022: नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ लेंगी. वह देश की 15वीं और पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी. जिनका शपथ समारोह सुबह 10:15 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में होगा. सीजेआई एन. वी. रमणा उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाएंगे. इसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाएगी. ़अब राष्ट्रपति की बात हो रही हैं तो उनकी सुरक्षा में लगे जवानों को तो आपने देखा ही होगा. रौबदार छवि, गहरे आकर्षक रंग की यूनिफॉर्म ऊपर से बड़ा साफा पहने गार्ड हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचते है. लेकिन राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे अगरंक्षक का इतिहास भी बड़ा खास है.
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राष्ट्रपति की सुरक्षा होती है बेहद अहम
गौरतलब है कि भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता हैं. इसके साथ ही वो देश के कमांडर इन चीफ भी होते हैं. यानी राष्ट्रपति देश की तीनों सेनाओं भारतीय आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के मुखिया होते है. इसलिए राष्ट्रपति की सुरक्षा भी बेहद अहम और खास होती है. इन अंगरक्षकों का चयन भी बेहद खास तरीके से किया जाता है. इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड यानी PBG को दी जाती है.
क्या है ये PBG?
PBG यानी प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड ये भारतीय सेना की सबसे सीनियर घुड़सवार रेजिमेंट है. यह इंडियन आर्मी की सबसे पुरानी यूनिटों में से एक है. यह यूनिट राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेती है. इसमें शामिल जवान लंबे कद काठी वाले होने के साथ ही घुड़सवारी में अव्वल दर्जे के होते है.
कब हुई थी इसकी शुरुआत
PBG को 1773 में गवर्नर वॉरेन हेस्टिंग्स ने बनाया था. हेस्टिंग्स ने पहले 50 सिपाहियों को अपनी टुकड़ी में चुना था. उन्हें 'मुगल हॉर्स' के नाम से जाना जाता था. इस मुगल हॉर्स का गठन 1760 में सरदार मिर्जा शाहबाज खान और सरदार खान तार बेग ने किया था.
176 जवान करते राष्ट्रपति की सुरक्षा
बता दें कि वर्तमान में राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवानों की संख्या 176 हैं. जिसमें 4 ऑफिसर, 11 जूनियर कमीशंड और 161 जवान होते है. आपको जानकर हैरानी होगी कि राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले जवान हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से ही आते है. इन्हीं जगहों से आए युवाओं को ही राष्ट्रपति के लिए चुना जाता है. इतना ही नहीं बल्कि खास जाति के लोगों को ही राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगाया जाता है. जिसमें जाट, सिख और राजपूत को ही प्राथमिकता दी जाती है.
इसे लेकर हाईकोर्ट में भी लगी थी याचिका
राष्ट्रपति के गार्ड की नियुक्ति में सिर्फ जाट, सिख और राजपूत व्यक्ति ही आवेदन कर सकते हैं. इसे लेकर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका भी लगाई गई थी कि सिर्फ तीन जातियों पर ही क्यों विचार किया जाता है? इस पर केन्द्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की अलग से भर्ती नहीं होती है. आर्मी के कार्य के अनुरूप ही टुकड़ियों को बांटा जाता है और उनको नियुक्ति दी जाती है. ऐसे में राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में जातिवाद का आरोप पूरी तरह से गलत है.
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आर्मी ने भी स्वीकार किया इस प्राथमिकता को
बताते चले कि इस मामले में सिर्फ तीन जातियों के जवानों को शामिल किए जाने के तथ्य को भारतीय सेना ने सुप्रीम कोर्ट में 2013 में ही स्वीकार कर लिया था. उस समय कहा गया था कि राष्ट्रपति की सुरक्षा कर्मियों की विशेष आवश्यकताओं के चलते ही राजपूत, जाट और सिख टुकड़ी को ही शामिल किया जाता है.