रायपुर: विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में विशेष रूप से संरक्षित जनजातीय समूहों की पारंपरिक खेल मड़ई की सांस्कृतिक संध्या का आयोजन आज रायपुर के पंडित जवाहरलाल नेहरू शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के ऑडिटोरियम में हुआ. ऑडिटोरियम में संध्या 5 बजे से विशेष रूप से पिछड़ी जनजातीय समूह के सांस्कृतिक दलों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.


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सांस्कृतिक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता संसदीय सचिव द्वारकाधीश यादव ने की. इस अवसर पर अन्य जनप्रतिनिधि सहित आदिम जाति कल्याण विभाग सचिव डी.डी. सिंह एवं आयुक्त शम्मी आबिदी विशेष रूप से उपस्थित थीं.


 मंत्री डॉ प्रेमसाय टेकाम ने कार्यक्रम के दौरान मांदर बजाकर किया कलाकारों का उत्साह वर्धन किया. उन्होंने अपने उद्बोधन में प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कौशल विकास, आजीविका तथा सांस्कृतिक परंपराओं को प्रोत्साहित करने के प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह को 23 हजार 600 से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं, जिसका रकबा 18500 हेक्टेयर से अधिक है.


सामुदायिक वन अधिकार के तहत 1700 से अधिक पट्टे जिसका रकबा एक लाख 14 हजार हेक्टेयर से अधिक है. विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों को आजीविका का साधन उपलब्ध कराने के लिए 100 से अधिक सामुदायिक वन संसाधन वन अधिकार  पत्र दिए गए हैं. विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह के 9623 शिक्षित युवाओं को पात्रता अनुसार शासकीय सेवा में नियुक्त करने की कार्यवाही की जा रही है. 


जनजातीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सरकार द्वारा जनजातियों के आस्था स्थल देवगुड़ियों के निर्माण, जीर्णोद्धार के लिए स्थल के लिए 5-5 लाख रूपए की मंजूरी दी जा रही है. इसके साथ ही जनजाति समुदाय में प्रचलित घोटुल प्रथा को संरक्षित रखने के लिए भी विशेष प्रयास किया जा रहा है. बीते साढ़े तीन वर्ष में 1889 देवगुड़ियों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार के लिए 22 करोड़ 82 लाख स्वीकृत किए गए हैं. वर्ष 2022-23 में जिला नारायणपुर में स्थानीय जनजातियों के सांस्कृतिक संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए 94 घोटुल निर्माण हेतु 4 करोड़ 70 लाख की राशि स्वीकृत की गई है, जिससे जनजाति संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन में मदद मिलेगी एवं आने वाली पीढ़ी भी अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक बनेगी.


सांस्कृतिक कार्यक्रम में विशेष संरक्षित जनजातियों के 7 दलों ने अपनी प्रस्तुति दी, जिसमें जशपुर संभाग के पहाड़ी कोरवा द्वारा अगनई नाचे पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दी गई. जो पूस के महीने में धान कटाई के उपलक्ष्य में की जाती है. अबूझमाड़िया दल द्वारा गौर नृत्य, जो हरेली पर प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए किया जाता है. गरियाबंद जिले के कलाकारों द्वारा कमार नृत्य, जो नवाखाई पर किया जाता है. रायगढ़ जिले के कलाकारों द्वारा पेड़ा नृत्य, जो नवाखाई के अवसर पर किया जाता है. मुंगेली जिले से करमा बैगा नृत्य, जिसे बारह महीने किया जाता है. सरगुजा जिला करमा नृत्य द्वारा करमा त्यौहार के अवसर पर किया जाता है, कि प्रस्तुति की गई. कार्यक्रम के अन्त में मंत्री डॉ. टेकाम ने सभी कलाकार दलों को स्मृति चिन्ह, प्रशस्त्रि पत्र भेंटकर सम्मानित किया.


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