शैलेंद्र सिंह भदौरिया/ग्वालियरः मध्य प्रदेश के ग्वालियर में इन दिनों सम्राट मिहिर भोज (Raja Mihir Bhoj) की जाति को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. इसे लेकर क्षत्रिय और गुर्जर समाज आमने-सामने है और दोनों ही समाज के लोग सम्राट मिहिर भोज को अपने-अपने समाज का बता रहे हैं. इस पूरे विवाद की शुरुआत सम्राट मिहिर भोज की एक प्रतिमा के अनावरण से हुई है. क्षत्रिय समाज ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दी है. 


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क्या है मामला
दरअसल बीती 8 सितंबर को ग्वालियर नगर निगम द्वारा शिवपुरी लिंक रोड पर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित की गई. इस प्रतिमा का अनावरण ग्वालियर से सांसद विवेक नारायण शेजवलकर और कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने किया. इस प्रतिमा की शिला पट्टिका पर गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा हुआ है. जिस पर क्षत्रिय समाज ने आपत्ति दर्ज कराई है. क्षत्रिय समाज के लोगों का दावा है कि राजा मिहिर भोज गुर्जर नहीं थे. साथ ही उन्होंने कहा कि महापुरुषों की प्रतिमाओं के अनावरण के समय उनकी जाति का उल्लेख करना भी ठीक नहीं है.


क्षत्रिय समाज ने प्रतिमा की शिला पट्टिका से गुर्जर शब्द हटाने की मांग करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. क्षत्रिय समाज के लोगों का कहना है कि अगर शिला पट्टिका से गुर्जर शब्द को नहीं हटाया गया तो क्षत्रिय समुदाय के लोग पूरे देश में आंदोलन करेंगे.


वहीं क्षत्रिय समाज की आपत्ति पर गुर्जर समुदाय ने भी नाराजगी जाहिर की है. गुर्जर समाज के लोगों का कहना है कि इतिहास में कई ऐसे शिलालेख मिले हैं, जिनमें मिहिर भोज को गुर्जर सम्राट बताया गया है. गुर्जर समाज लंबे समय से ग्वालियर में राजा मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित करने की मांग कर रहा था. जिसे जिला प्रशासन द्वारा अब स्वीकार किया गया है. विवाद पर समाज के लोगों ने कहा कि क्षत्रिय समाज के लोगों से उन्हें कोई विद्वेष नहीं है, वह भी उनके भाई हैं और जल्द ही वह क्षत्रिय समाज के लोगों से मिलकर सम्राट मिहिर भोज के गुर्जर होने के प्रमाण सौंपेंगे. 


क्या कहते हैं इतिहासकार?
इस पूरे विवाद पर इतिहासकार लाल बहादुर सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि सम्राट मिहिर भोज के बारे में जो शिलालेख मिलते हैं, उनमें उन्हें प्रतिहार राजवंश का राजा बताया गया है. वह ग्वालियर के भी सम्राट रहे हैं. राजा मिहिर भोज के शासनकाल में ही ग्वालियर का चतुर्भुज और तेली मंदिर भी उनके ही शासनकाल में बनाया गया था. इतिहासकार बताते हैं कि राजा मिहिर भोज के प्रतिहार होने का जो शिलालेख है, वो आज भी ग्वालियर के मृगनयनी म्यूजियम में रखा हुआ है.