हेमंत संचेती / नारायणपुर: नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले का एक युवा व्यापारी बाइक राइडिंग करते हुए भारत के अंतिम गांव तुर्तुक ,पेंगोलिंग पहुंच अबूझमाड़ का परचम लहराया. आजादी का अमृत महोत्सव देश के बार्डर पर मनाकर अबूझमाड़ का नाम रोशन करके उनकी वापसी पर आज भव्य स्वागत जिलेवासियों द्वारा किया गया. नारायणपुर जिले के तेलसी मोड़ पर पहुंचते ही युवा व्यापारी के मित्र , वरिष्ठ नागरिक , परिजन स्वागत करने पहुंचे. युवा का स्वागत पारंपरिक तरीके से तिलक लगाकर साल, श्री फल देकर और भारत माता के जयकारे लगाते हुए किया गया.


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जिसके बाद स्वागत का सिलसिला शुरू हुआ डीजे में देश भक्ति की धुन के साथ बाइक समेत काफिला शहर की ओर ले गया. जगह-जगह भारत माता के नारों से पूरा नारायणपुर गूंज उठा. जिसके बाद युवाओं ने जय स्तंभ चौक पर केक काटकर उनका स्वागत किया. जय स्तंभ चौक से जैन समाज के युवक राकेश जैन की बाइक से बाइक का काफिला बनाकर अपने घर पहुंचे. जहां राकेश जैन के पिता, मां, पत्नी, बहन, बेटे और बेटी समेत परिवार के सभी सदस्यों ने जैन समाज के रीति-रिवाजों का पालन के साथ स्वागत किया.


अबूझमाड़ की छवि बदलना है उद्देश्य: राकेश जैन
वही स्थानीय लोगों का कहना है कि युवा व्यापारी राकेश जैन ने बाइक राइडिंग करते हुए लेह लद्दाख तक जाकर बदलते अबूझमाड़ का नाम रोशन किया है. जो काबिले तारीफ है. वहीं पार्षद जय प्रकाश शर्मा ने कहा कि मेरे वार्ड के राकेश जैन ने देश के अंतिम छोर तक अबूझमाड़ का परचम फहराकर लोगों में अबूझमाड़ की बदलती छवि को पेश किया है. जिसके लिए हम सभी उनके आभारी है. राकेश जैन का कहना है कि देश दुनिया में जो नक्सल गतिविधियों वाली छवि अबूझमाड़ की बनी हुई है उसे बदलना उनका उद्देश्य था.


इसलिए बाइक राइडिंग करते हुए भारत के अंतिम गांव तुर्तुक,पेंगोलिंग तक जाकर बदलते अबूझमाड़ की बातें बताकर लोगों को अबूझमाड़ घूमने आने का लोगों से आह्वान किया. लोग अबूझमाड़ को माड़ मैराथन के नाम से जाने व पहचाने लगे जो जानकर बहुत सुखद: अनुभव लगा. नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ को नक्सल गतिविधियों के नाम से जाना व पहचाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ समय से अबूझमाड़ की छवि बदल रही हैं. जिससे देश दुनिया को रूबरू कराने की मन में ठानकर युवा व्यवसायी राकेश जैन ने बाइक राइडिंग करते हुए. भारत के चीन और पाकिस्तान बार्डर तक जाने की ठानी और 23 जुलाई को भिलाई के सुनील शर्मा के साथ नारायणपुर से निकल पड़े. 


राकेश जैन कारगिल,लेह, लद्दाख ,तुर्तुक,पेंगोलिंग पहुंचकर छत्तीसगढ़ राज्य के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ की बातें की तो वहां के लोगो ने माड़ मैराथन की बातें बताई. जिसे सुनकर काफी सुखद: अनुभव लगा कि अब लोगों में अबूझमाड़ की बदलती छवि को अनुभव करने लगे हैं. वहीं वापस अपने नारायणपुर अबूझमाड़ पहुंचने पर जो प्यार मुझे अपने लोगों ने दिया वो पल भावुक करने वाला पल था. जिसके लिए मैं सदैव उनका आभारी रहूंगा.


छत्तीसगढ़ से लेह लद्दाख का सफर
छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र से , एमपी से दिल्ली से , यूपी से पंजाब से हरियाणा से जम्मू और कश्मीर से लेह लद्दाख से 3,000 किमी लेह में अलग से 700 किमी लुब्रा वैली, पैंगोंग झील, खारदुंग भारत का आखरी गांव तुर्तुक पाकिस्तान सीमा के पास घूमे. 



 


भारतीय सेना को पास से देखने का मिला सौभाग्य 
बार्डर पर भारतीय सेना से मिलकर बस्तर के राकेश जैन भावुक हो गए. हमारे जवान विषम परिस्थितियों के बावजूद देश की रक्षा के लिए बार्डर पर तैनात रहते हैं. उनसे मिलकर एक अलग ही अनुभव मिला. जिसे बयां नहीं किया जा सकता.