MP News: रक्षाबंधन की तैयारियां शुरू हो चुकी है. चारों तरफ रंग-बिरंगी राखियां बेची जा रही हैं. इस खास मौके पर इंदौर की सेंट्रल जेल में बंद महिलाएं कैदी भी राखी बनाने का काम शुरू कर दी हैं. दरअसल, इंदौर की सेंट्रल जेल में बंद महिला कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेल परिसर में प्रशिक्षण देकर उनसे राखी बनाने का कार्य करवाया जा रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इंदौर बाजार में बेचा जाएगा राखियों को
महिला कैदियों द्वारा तैयार राखियों को बाजार में बेचा जाएगा. इससे जो भी मुनाफा होगा वो कैदियों को वापस दे दिया जाएगा. सेंट्रल जेल के अधीक्षक डॉक्टर अलका सोनकर ने जानकारी देते हुए बताया कि, जेल में करीब 40 महिला कैदी राखी बनाने का कार्य कर रही हैं. इन महिला कैदियों को इसके लिए प्रशिक्षण करवाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि, राखी बनवाने का हमारा मकसद महिला कैदियों को आत्मनिर्भर बनाना है. 


यह भी पढ़ें: कैलाश विजयवर्गीय का डबल अटैक! दिग्विजय के साथ केजरीवाल को भी घेरा, गुजरात की दिलाई याद


जेल अधीक्षक अलका सोनकर  ने बताया कि, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है इससे पहले भी महिलाओं को मिठाई और अन्य चीजें बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. ताकि वे जेल से छूटने के बाद खुद काम कर सके और दूसरों पर निर्भर न हो. उन्होंने आगे कहा कि, केंद्रीय जेल में बने उत्पादों को जेल के बाहर दुकान लगाकर बेचा जाता है. फिर इन उत्पादों से जो भी मुनाफा होता है उसे महिलाओं को दिया जाता है. और इस बार भी राखी को इंदौर की बाजारों में बेचा जाएगा. 


 



 


इससे पहले बॉर्डर पर तैनात जवानों के लिए बनाई गई थी राखी
बता दें कि उज्जैन की संस्था प्रतिवर्ष भारत सरकार से बॉर्डर पर वीर जवानों को राखी बांधने के लिए इजाजत लेती है. साल 2022 में इंदौर की महिला बंदियों द्वारा बनाई गई 200 राखियां जवानों के कलाई पर बंधी गई थी. राखियों के अलावा जूट बैग, लेदर बैग, चादरें, आदि अन्य सामान भी जो महिला बंदियों द्वारा बनाया गया था.