राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: धार्मिक नगरी उज्जैनी (ujjain) में रंग पंचमी (rang panchami) पर होली पर्व (holi festival) का बड़ा उत्साह देखने को मिलेगा. नियम अनुसार अल सुबह तड़के बाबा महाकाल भस्मारती के दौरान सबसे पहले भक्तों संग होली खेलेंगे. जिसके बाद देश भर में पर्व मनाया जाएगा. बाबा महाकाल (baba mahakal) भक्तों संग जिस रंग से होली खेलेंगे. उसको बनाने का कार्य मंदिर परिसर में 24 घण्टे पूर्व से ही शुरू कर दिया गया है. लगभग 5 क्विंटल टेसू के फूलों को उबाल कर केसरिया रंग बनाने की खास तैयारियां मंदिर में चल रही हैं.


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जानिए क्या कहा पुजारी ने
आपको बता दें कि टेसू के फूल प्रत्येक वर्ष खास कर बाबा महाकाल के लिए रंगपंचमी पर्व के लिए उज्जैन, आगर और आस पास के क्षेत्रों से मंगवाएं जाते हैं. टेसू के फूलों से बने सुंगधित रंग से रंग पंचमी मनाने के लिए यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है. पंडित यश गुरु ने बताया कि इस बार ही नहीं हर साल 5 किवंटल टेसू के फूलों को अलग-अलग क्षेत्रों से मंगाया जाता है. केमिकल युक्त कलर से शिवलिंग का क्षरण होता है. इसलिए टेसू प्राकृतिक रंग का उपयोग किया जाता है. अल सुबह 4 बजे भस्मारती के दौरान भगवान पर रंग पंचमी पर सतत रंगधारा प्रवाहित की जाएगी.


जानिए कैसे बनता है ये रंग
बीते 12 वर्षो से महाकाल मंदिर में रंगपंचमी के लिए रंग बना रहे राजेश जोशी ने बताया कि बर्तनों को साफ करने के बाद 5 किवंटल फूलों के लिए करीब 2000 हजार लीटर पानी लगता है. तीन घंटे तक 3 बड़े कडावे या तपेले में सतत उबालने के बाद केसरिया कलर आने के बाद ही उसे छानकर कर ठंडा किया जाता है. ठंडा होने के बाद शुद्ध रंग तैयार हो जाता है. इस रंग को भस्म आरती के दौरान महाकाल को अर्पित किया जाएगा. जिसके बाद महाकाल मंदिर के पण्डे पुजारी और श्रद्धालु महाकाल के साथ रंग पंचमी मनाएंगे.


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