Ratan Tata News: रतन टाटा के जाने के बाद हर कोई उन्हें याद कर रहा है. रतन टाटा एक सफल बिजनेसमैन तो थे ही लेकिन उससे बड़े समाज सेवी भी थे, वो हमेशा देश के लिए खड़े रहे. यही कारण था कि सिर्फ बिजनेस जगत के लोग ही नहीं देश और दुनिया के आम लोग भी रतन टाटा को काफी पसंद करते थे. रतन टाटा के निधन पर देश और दुनिया के तमाम लोग दुख जता रहे हैं. रतन टाटा की लाइफ लोगों के लिए प्रेरणादायक रही है, ना जाने कितने युवा उनकी दी हुई सीख लेकर सफलता के शिखर पर पहुंचे. लेकिन एक बात यह भी है कि रतन टाटा ने शादी नहीं की थी. लेकिन उन्होंने अपनी लव लाइफ का किस्सा जरूर सुनाया था. 


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चार बार हुआ था रतन टाटा को प्यार


रतन टाटा ने खुद अपनी लव लाइफ को लेकर कई जानकारियां दी थी. बिजनेस की दुनिया में जिस रफ्तार से उन्होंने अपनी गाड़ी दौड़ाई, प्यार के मामले में वह शायद उतनी तेज नहीं चली. टाटा को चार बार प्यार हुआ, प्यार शादी तक भी बात पहुंची लेकिन शादी हो नहीं पाई. एक इंटरव्यू के दौरान खुद रतन टाटा ने अपने लव लाइफ के बार में बताया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी जिंदगी में प्यार एक नहीं बल्कि चार बार आया था. लेकिन कई सारे कारणों की वजह से प्यार कभी शादी तक नहीं पहुंच पाया. टाटा ने बताया कि फिर कभी उन्होंने शादी के बारे में नहीं सोचा और अपना पूरा ध्यान अपनी कंपनियों को आगे बढ़ाने में लगा दिया था. 


अमेरिका में हुआ था प्यार 


रतन टाटा काफी खुशमिजाज इंसान थे. यहीं वजह थी कि वो प्यार जैसे मुद्दे पर भी खुल कर बोलते थे. एक इटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उन्हें प्यार तो हुआ लेकिन प्यार को अंजाम तक पहुंचाने में वो नाकाम ही रहे. उन्होंने कहा थी कि शादी ना होना भी अच्छा ही रहा. शायद अगर शादी हो जाती तो आज स्थिति कुछ अलग ही होती. इंटरव्यू में बताया थी कि अगर मुझे आप अपने शादी के बारे में पूछेंगे तो में आपको यही बताऊंगा कि मैने चार बार कोशिश कि लेकिन किसी ना किसी डर के कारण यह हर बार नहीं हो पाया. जब मैं अमेरिका में था तब शायद तब मैं प्यार को लेकर सबसे ज्यादा सीरियस हो गया था, लेकिन शादी सिर्फ इसलिए नहीं पाई थी. जिसके बाद मैं भारत लौट आया था. 


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चीन की वजह से नहीं हो पाई थी शादी


रतन टाटा के लिए देश प्रेम से बढ़ कर शायद कुछ नहीं था. यही वजह थी की 1962 में जब भारत और चीन के बीच जंग चल रहा था तो रतन टाटा की प्रेमिका भारत नहीं आना चाहती थी. जिस कारण उनकी शादी होते-होते रह गई. रतन टाटा की लव चाहे सफल ना हो पाई हो लेकिन उन्होंने अपनी कंपनीयों को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाया है. यही कारण है कि आज उनकी कंपनी देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है.


अपनी कंपनियों को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले थे रतन टाटा


28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा ने अपनी कंपनियों को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाया. वे 1990 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष रहे. वे इसके धर्मार्थ ट्रस्टों के प्रमुख बने रहे. 2000 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्राप्त करने के बाद, 2008 में उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण मिला. साल 1991 में रतन टाटा ने दिसंबर 2012 तक अपने पूर्ववर्ती जेआरडी टाटा से पदभार ग्रहण करते हुए टाटा समूह की कमान संभाली. उनके 22 साल के चेयरमैनशिप के दौरान टाटा समूह ने विदेशों में कई अधिग्रहणों के जरिए तेजी से विकास किया.


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