चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलाम: सावन माह में शिव भक्त शिव मंदिरों में पहुंच रहे है और शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भगवान शिव को प्रसन्न कर रहे हैं. शिव भक्त सावन माह में अलग-अलग शिव मंदिरों में पहुंच कर ज्यादा से ज्यादा शिवलिंग पर जल चढ़ाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर रहै हैं. लेकिन रतलाम में एक ऐसा शिव का प्राचीन स्थान है, जहां एक साथ 64 शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है और भक्त यहां भगवान शिव के 64 शिवलिंग पर एक ही जगह जल चढ़ाकर पूजा करते हैं.


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दण्डिस्वामी संतो की समाधि पर बनाया गया है शिवलिंग
दरअसल रतलाम शहर के बीच एक शिव जी का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है, जिसमें शिव पार्वती की प्रतिमा है. मंदिर परिसर में एक साथ कई सारे शिवलिंग हैं. प्राचीन मंदिर में वर्षों से आ रहे श्रद्धालु बताते हैं कि यह काफी पुराना मंदिर है और काफी समय से यह दण्डिस्वामी संतो का मठ हो गया है. वर्षों से यहां कोई न कोई दण्डिस्वामी रहते आये हैं. वहीं पुराने समय में दण्डिस्वामी संतो की मृत्यु पश्चात इसी परिसर में उनकी समाधि भी बनाई गई थी. इन समाधियों पर शिवलिंग स्थापित है.


एक साथ मिलता है 64 शिवलिंग के पूजा का सौभाग्य
इसके अलावा जिले के कई जगहों पर जब भी शिवलिंग मिले, उन्हें भी इसी मंदिर परिसर में स्थापित कर दिया गया. ऐसे में यहां अब तक कुल 64 शिवलिंग हैं. इतने सारे शिवलिंग की एक साथ पूजा के कारण इस मंदिर पर शिव भक्तों का खास आकर्षण रहता है. और श्रद्धालुओं को एक साथ 64 शिवलिंग की पूजा का सौभाग्य प्राप्त होता है.


सावन में लगता है भक्तों का तांता
रतलाम के इस शिव मंदिर में सावन महीने की शुरुआत होते ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है. सावन माह के सोमवार और शुक्रवार के दिन यहां सुबह से ही भक्तों का आना शुरू हो जाता है. इस मंदिर में आने वाले भक्तों की मान्यता है कि यहां पूजा करने से एक साथ 64 शिवलिंग के पूजा के बराबर फल मिलता है.


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