पूर्व जन्म, 100 बार हिरासत, 23 साल की लड़ाई, ब्लास्ट से बॉलीवुड तक कनेक्शन, क्या है इस शख्स की मिस्ट्री
mp news-संतोष कुमार सिंह नाम का शख्स अपने आप को पिछले 22 सालों से जिंदा घोषित करने की कोशिश कर रहा है. इस शख्स की इस जन्म और पिछले जन्म की कहानी एक जैसी है.
madhya pradesh news-पंकज त्रिपाठी की फिल्म 'कागज' में मुख्य किरदार अपने जीवित होने का प्रमाण पाने के लिए कई दफ्तरों के चक्कर लगाता है. ऐसी ही कहानी वाराणसी के एक शख्स कि है, नाम है संतोष कुमार सिंह. सरकारी रिकॉर्ड में संतोष की मौत 21 साल पहले हुइ मुंबई कार ब्लास्ट में हो चुकी है, लेकिन ये शख्स सही सलामत है और खुंद को जिंदा साबित करने की कोशिश कर रहा है. उसे मृत बताकर परिवार वालों ने उसकी जमीन हड़प ली है.
संतोष अपने गले में 'मैं जिंदा हूं' की तख्ती टांगकर फरियाद लगा रहा है.
पुनर्जन्म की कहानी जानने आए
संतोष कुमार सिंह पिछले एक हफ्ते से मध्यप्रदेश के गुना में हैं, वो पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी से अपने पुनर्जन्म की जानकारी लेने आए हुए हैं. मेडिटेशन के जरिए उन्होंने पिछली जिंदगी के बारे में जानने की कोशिश. इसमें सामने आया कि पिछले जन्म में भी इसी तरह उनके चाचा ने उनकी जमीन हड़पी थी. हैरानी की बात ये है कि इस जन्म में भी उनके साथ ऐसा ही हुआ है.
नाना पाटेकर के साथ रहे
संतोष वाराणसी के रहने वाले हैं, उन्होंने बताया कि 2000 में नाना पाटेकर मुंबई से आंच फिल्म की शूटिंग के लिए आए थे. उसी समय वह नाना पाटेकर के साथ मुंबई चले गए. मुंबई में संतोष तीन साल तक रहे. इसी बीच परिजन ने यह साबित कर दिया कि वो लापता हैं और ब्लास्ट में उनकी मौत हो गई है. इसी के बाद से संतोष लगातार खुद को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
पुलिस पकड़ती है और छोड़ देती है
संतोष ने बताया कि मैं खुद पीड़ित हूं और तहसील के अधिकारियों से लेकर प्रदेश सरकार तक अपने जिंदा होने का सर्टिफिकेट मांग चुका हूं. संतोष बताते हैं कि जब भी कोई VIP मूवमेंट क्षेत्र में होता था, तो पुलिस उसे पहले ही पकड़ लेती और थाने लेकर चली जाती थी. इसके बाद उनके जाने के बाद ही छोड़ा जाता था.
गांव में फैलाई खबर
संतोष ने बताया कि तीन साल तक मुंबई में रहने दौरान उनके गांव के ही अजय सिंह, नारायण सिंह, दुर्गा सिंह, चेतनारायण सिंह समेत कई लोगों ने उनकी मौत की खबर फैला दी. संतोष ने बताया कि एक दिन गांव से नाना पाटेकर के पास फोन आया कि संतोष कहां है.उन्होंने कहा कि यहीं है, किचिन में है. इस पर ग्रामीणों ने कहा कि उससे बात करा दीजिए. जब मैंने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि संतोष तुम कहां हो, आज तुम्हारी तेरहवीं है। इस पर मैं भौचक्का रह गए. इसके बाद मैं गांव वापस आया.
ब्लास्ट में हुई मौत
मेरे गांव पहुंचने के पहले ही परिवार वालों ने वाराणसी सदर तहसील में राजस्व विभाग में साल 2003 में एक हलफनामा लगा दिया कि लापता संतोष सिंह मुंबई बम ब्लास्ट में मर चुका है. इसके बाद लेखपाल, सेक्रेटरी और ग्राम प्रधान के साथ फर्जीवाड़ा करके परिजन ने जमीन अपने नाम करा ली. संतोष ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान को ऐसा करने के एवज में खेत दिया गया था. साथ ही, लेखपाल और सेक्रेटरी को पैसा दिया गया. संतोष ने बताया कि उनके पास साढ़े 12 एकड़ जमीन थी. इसके अलावा मकान, बगीचा सब कुछ था.
पिछली जिंदगी में भी छीनी गई जमीन
संतोष की पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी करने वाली मधु रघुवंशी ने बताया कि संतोष ने यूट्यूब पर उनके वीडियो देखकर कॉन्टैक्ट किया. उन्होंने कहा कि वह अपनी पास्ट लाइफ के बारे में जानना चाहते हैं, मैंने उन्हें अपने सेंटर पर बुलाया. उन्होंने बताया कि इनके दो सेशन किए. इसमें पहले सेशन में उन्होंने फ्लैशेस देखे, क्योंकि यह रेगुलर मेडिटेशन तो करते नहीं हैं. जो निरंतर ध्यान करते हैं, उन्हें बहुत आसानी से लाइफ दिखती है. दूसरे सेशन में संतोष ने देखा कि उनकी जो पास्ट लाइफ थी, उसमें ये बड़े जमींदार थे. उनके चाचा-ताऊ ने इनकी सारी संपत्ति हड़प ली थी. इनको घर से निकाल दिया था, उसके बाद ये पूरी जिंदगी भिखारी की तरह जिए. इनकी पत्नी को भी उन्होंने अपने पास रख लिया.
इस जन्म में भी रिपीट
पिछली लाइफ का जो था, वही इनकी इस लाइफ में भी रिपीट हुआ है, ये चीजें इन्होंने देखी. इस बार भी इनकी सोल वही है, सिर्फ शरीर बदला है. वही चाचा ताऊ हैं, जो पास्ट लाइफ में थे. वहीं इस लाइफ में भी हैं. क्योंकि, जब हम आंखों में देखते हैं सेशन के जरिए, तो दिखता है कि ये लोग पास्ट लाइफ में कौन थे हमारे. संतोष ने देखा कि ये वही लोग हैं और फिर ऐसा अन्याय किया है.
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