संजय लोहानी/सतनाः शिक्षा को लेकर सरकार चाहे जितने बड़े दाव कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही निकलता है. बता दें कि सतना जिले में सरकारी शिक्षा व्यवस्था और स्कूल की इमारतें पूरी तरह से बदहाली का शिकार हो चुकी हैं. जिले के  नौनिहाल जर्जर भवनों के नीचे बैठकर सैकड़ों की संख्या में पढ़ाई पढ़ाई कर रहे हैं. ये मासूम अपने जान को जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं. 


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जिले के सैकड़ों स्कूल हो चुके हैं जर्जर
दरअसल सतना जिले के सैकड़ों स्कूल भवन जर्जर हो चुके है. और इन जर्जर स्कूलों में देश का भविष्य तैयार किया जा रहा है. जिलेभर में करीब 100 से अधिक स्कूल कंडम हो चुके हैं. ये कभी भी धरासाई हो सकते हैं और बड़ा हादसा हो सकता है. अब ऐसे जर्जर स्कूलों से बच्चे तो बच्चे शिक्षक भी खौफ खाने लगे है.लेकिन सरकारी विभाग के अफसर हादशा होने तक नींद की आगोश में है


20 स्कूलों के पास नहीं है खुद की बिल्डिंग
जिले में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 2640 है, माध्यमिक विद्यालय 941, हाई स्कूल 155 और हायर सेकेंड्री स्कूल 146 हैं. जिनमें से ज्यादातर स्कूलों में बिजली-पानी की व्यवस्था तक नहीं है, जबकि 20 स्कूलों के पास खुद की बिल्डिंग नहीं है.


जानिए स्कूलों की वर्तमान हालत
सतना जिले में 171 स्कूल भवन ऐसे हैं, जो 30 साल पुराने हो चुके हैं. इनमें तत्काल मरम्मत की जरूरत है. शिक्षा विभाग की रिपोर्ट पर नजर डालें तो ऐसे 151 प्राथमिक स्कूल और 20 स्कूल माध्यमिक हैं. सबसे खराब स्थिति अमरपाटन की है, यहां 34 स्कूलों को मरम्मत की जरूरत हैं. उचेहरा में 33, रामनगर में 28, मैहर में 22 स्कूलों की मरम्मत होनी जरूरी है. लेकिन जिले के कई शासकीय विद्यालय भवन ऐसे हैं कि जब से बना तब से मरम्मत नहीं हुई. हालात यह हैं कि भवन पूरी तरह से जर्जर है. जगह-जगह दीवारों पर दरारें आ गई हैं. बारिश के मौसम में कमरों में पानी भर जाता है. शहर के अंदर भी जर्जर स्कूल हैं. कई स्कूल तो बने ही 10 साल पहले हैं. लेकिन घटिया निर्माण के चलते समय से पहले गिराने की स्थित में आ गए है. शिक्षा विभाग के अफसरों ने पत्र लिखकर लोक निर्माण विभाग को सूचित कर दिया है पर उनके तरफ से अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई.


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