अरविंद सिंह/दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh government's policy) की बीएड पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राज्य के निवासियों को 75% आरक्षण (75% reservation in B.Ed courses) देने की नीति पर टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को बीएड पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राज्य के निवासियों को 75 %आरक्षण देने की अपनी नीति की फिर से विचार करने को कहा है. कोर्ट ने इसे 'होलसेल रिज़र्वेशन' करार देते हुए असंवैधानिक और समानता के मूल अधिकार के खिलाफ बताया है.


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दो महीने के अंदर इस पर फैसला लें: सुप्रीम कोर्ट 
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हालांकि राज्य सरकार को अपने स्थानीय निवासियों के लिए सीट आरक्षित करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें ज़मीनी हकीकत को ध्यान में रखना चाहिए. 75% आरक्षण देने का फैसला बहुत ज़्यादा है और इससे कुछ मकसद भी हासिल नहीं हो रहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वो पिछले कुछ सालों के आंकड़ों का अध्ययन कर तय करें कि किस हद तक आरक्षण देना सही रहेगा और दो महीने के अंदर इस पर फैसला लें.


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HC ने इस आरक्षण को ठहराया था सही
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है. इससे पहले हाईकोर्ट ने इस आरक्षण को बरकरार रखा था।


वीना वादिनी ने दायर की थी याचिका 
बीएड कॉलेज चलाने वाली वीणा वादिनी समाज कल्याण विकास समिति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि स्थानीय निवासियों के लिए 75% आरक्षण की नीति के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इतनी संख्या में स्थानीय उम्मीदवारों के उपलब्ध नहीं होने के कारण ये सीटें खाली रहती हैं.