अरुण त्रिपाठी/शहडोल: एमपी के शहडोल से दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है. प्रदेश में अच्छी स्वास्थ्य सुविधा लोगों को शव वाहन उपलब्ध कराने का दावा यहां खोखला नजर आ रहा है. दरअसल शहडोल मेडिकल में अनुपपुर जिले से इलाज कराने आए 2 बेटों की मां को अच्छा इलाज नहीं मिल पाया. जिससे उनकी मां की मौत हो गई. हद तो तब हो गई जब शव वाहन भी नहीं मिला. इसके बाद बेबस बेटों ने  पैसों के अभाव में मां के लिए 100 रुपए का एक लकड़ी का पटिया खरीदकर शव बाइक में रखकर 80 किलोमीटर का सफर तय कर अपने गृह ग्राम अनूपपुर जिले के गुड़ारु पहुंचे.


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बता दें कि इस 80 किलोमीटर शहडोल से अनूपपुर जिले तक बाइक में शव लेकर सफर करने के दौरान इस नजारे को जिसने देखा उसके मुंह से यही आवाज निकली हाय राम....ये क्या हो रहा है. 


न मिला इलाज न मिला शव वाहन
अनूपपुर के गोडारू गांव की रहने वाली महिला जयमंत्री यादव को सीने में तकलीफ होने के कारण बेटों ने उपचार जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था. जहां हालत खराब होने के कारण मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया. उपचार के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई. मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर लापरवाही से इलाज करने का आरोप लगाते हुए मां की मौत के लिए मेडिकल अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया.


लकड़ी की पटिया खरीद बाइक में ले गए मां का शव
दोनों बेटों ने मां की मौत के बाद शव को घर ले जाने के लिए शव वाहन की मांग की लेकिन शव नहीं मिला. वहीं शव ले जाने के लिये प्राइवेट शव वाहन वालों ने 5 हजार रुपए की मांग की. जिससे विवश होकर बेटों ने सौ रुपए की एक लकड़ी की पटिया खरीदकर किसी तरह से मां का शव बांधकर शहडोल से अनूपपुर जिले के गुड़ारु 80 किमी दूर अपने घर ले जाना पड़ा. इस दैरान जिस जिस गली सड़क होकर मां के शव को बाइक में लादकर जा रहे इस नजारे को जिसने देखा उसके होश उड़ गए. शव को बाइक पर बांधकर ले जाते देख लोगों की आंखों से भी आंसू छलक पड़े.


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धरती में नरक देखना है तो शहडोल के मेडिकल आइए
कहने को तो शहडोल  संभाग में सबसे बड़ा सर्व सुविधायुक्त मेडिकल कॉलेज हैं. लेकिन यहां लोगों को अच्छा इलाज नहीं मिल पा रहा है. उपचार कराने आए मरीजों व उनके परिजनों का कहना है कि यदि धरती में नरक देखना है तो मेडिकल अस्पताल आ जाओ, शहडोल संभाग के अलावा छत्तीसगढ़ से भी लोग यहां इलाज के लिए आते है.