Sharad Purnima Shubh Muhurt: हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा के नाम से जानते हैं. ऐसी मान्यता है कि अश्विन माह की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं. साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती है. इसलिए इस तिथि का बहुत महत्व है. मां लक्ष्मी धन वैभव और सुख-समृद्धि की देवी हैं. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप शरद पूर्णिमा के दिन कुछ उपाय करते हैं तो मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न हो जाएंगी और आपको कभी किसी चीज की कमी नहीं महसूस होगी.


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शरद पूर्णिमा तिथि व शुभ मुहूर्त
अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 09 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी, जो अगले दिन सोमवार को 10 अक्टूबर को 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन चंद्रोदय 09 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 58 मिनट से हो रहा है. ऐसे में शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर रविवार को मनाया जाएगा.


शरद पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय
शरद पूर्णिमा के दिन सुख-संपत्ति की देवी लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है. यदि आप सुख-समृद्धि में वृद्धि चाहते हैं तो शरद पूर्णिमा के दिन नीचे दिए गए उपाय करते हैं तो आपकी आर्थिक तंगी दूर होगी और मां लक्ष्मी की कृपा से धन-दौलत में खूब तरक्की होगी.


मां लक्ष्मी को चढ़ाएं कौड़ी
शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के पास 7 कौड़ियों को रख कर उनकी विधि विधान से पूजा करते हुए कनकधारा स्त्रोंत का पाठ करें. इसके बाद इन कौड़ियों को लाल या पीले कपड़े में रखकर अपनी तिजोरी या पैसा रखने वाले स्थान पर रख दें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और कभी रुपए पैसे की कमी नहीं महसूस होती है.


मां लक्ष्मी को चढ़ाएं सुपारी
इस दिन मां लक्ष्मी को सुपारी चढ़ाकर विधि विधान से पूजा करें. इसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में अक्षत कुमकुम चढ़ाएं. इसके बाद इसे अगले दिन सुबह लाल या पीले रंग के कपड़े में रखकर तिजोरी में रख दें. ऐसा करने से आपकी आर्थिक तंगी दूर होगी और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी.


खुले आसमान के नीचे रखें खीर
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत निकलती है. इसलिए इस दिन मीठी खीर बनाकर छत पर या आंगन में खुले आसमान के नीचे रख दें. इसे अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. इसे ग्रहण करने से पुरानी से पुरानी बीमारी खत्म हो जाती है और शरीर में कोई नया रोग नहीं उत्पन्न होगा.


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)