अजय राठौर/श्योपुरः अफ्रीकी देश नामीबिया से भारत आए 8 चीतों को श्योपुर का कूनो नेशनल पार्क रास आ रहा है. बता दें कि डॉक्टर पल-पल चीतों की सेहत पर नजर रख रहे हैं. सभी 8 चीतों के बीते 3 दिन कूनो में बेहतर बीते हैं. चीते अपने बाड़े में एक्टिविटी कर रहे हैं और रविवार से अब तक उन्हें खाने के लिए भैंस का मांस दिया जा रहा है, जिसे चीते आराम से खा रहे हैं. 


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नामीबिया से आए 6 विशेषज्ञ और कूनो वन मंडल के 4 डॉक्टर लगातार चीतों पर नजर बनाए हुए हैं. शनिवार से सोमवार रात तक ही चीतों का 20 से ज्यादा बार परीक्षण किया जा चुका है. कूनो नेशनल पार्क के अफसरों ने बताया कि जब से चीतों को कंपार्टमेंट में क्वारनटाइन किया गया है, तब से उनके पास कोई नहीं गया है. हालांकि बाहर से उनकी एक्टिविटी पर लगातार नजर रखी जा रही है. चीते अपने बाड़े में रखे पानी को पीकर कुछ देर टहल रहे हैं.


कूनो नेशनल पार्क के निदेशक उत्तम शर्मा ने बताया कि नामीबिया से रवाना होने से पहले चीतों को भैंस का मांस दिया गया था. इसलिए उन्हें मांस दिया जा रहा है. कूनो नेशनल पार्क में आए चीतों को अभी एक महीना इन्हीं बाड़ों में रहना होगा. इन 8 चीतों में ओबान, फ्रेडी, क्रेडी, सवाना, आशा, सिबिली, सैसा और साशा शामिल हैं. इन चीतों में से एक मादा को पीएम मोदी ने आशा नाम दिया है. भारत में चीतों के प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों को आशा से ज्यादा उम्मीदें हैं क्योंकि आशा 3 साल 4 माह की है. 


1950 के दशक में चीते भारत से विलुप्त हुए थे. वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ मानते हैं कि चीतों के विलुप्त होने से भारत के ग्रासलैंड में इकोलॉजी खराब हुई और इस इकोलॉजी को ठीक करने के लिए चीतों को वापस भारत लाया गया है. चीतों को कूनो में लाने की वजह यहां का मौसम नामीबिया जैसा है और कूनो में चीतों के खाने की भी कमी नहीं है.