वित्तीय संकट से जूझ रहे सहकारी बैंक को बचाने के लिए आगे आए सिंधिया, सीएम को पत्र लिख की ये मांग
mp news-शिवपुरी जिला सहकारी बैंक को वित्तीय संकट से बचाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया आगे आएं हैं. सिंधिया ने सीएम को पत्र लिखकर आर्थिक सहायता की मांग की है.
madhya pradesh news-गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे शिवपुरी जिला सहकारी बैंक की मदद के लिए अब केंद्रीय मंत्री एवं क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ी पहल की है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बैंक को बचाने के लिए आगे आएं हैं. सिंधिया ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर बैंक को अतिशीघ्र आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए जाने की मांग की है.
उन्होंने बैंक में गबन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की भी मांग की है.
सीएम को लिखा पत्र
सिंधिया ने सीएम को पत्र लिखकर आर्थिक सहायता की मांग की है, ताकि ताकि अमानतदारों को उनकी जमा राशि लौटाई जा सके. साथ ही क्षेत्र के किसानों की लेनदेन प्रक्रिया शुरू हो सके. सिंधिया ने अपने पत्र के साथ शिवपुरी कलेक्टर को पत्र को संलग्न करते हुए इस संकट को हल करने के लिए बैंक की अंशपूंजी 142.31 करोड़, ब्याज माफी योजना के तहत शेष राशि 14.46 करोड़. वहीं सामान्य बैंक लिमिट के लिए 70 करोड़ की सहायता राशि प्रदान करने की मांग उठाई है. इस राशि से किसानों को उनकी पैसा वापस मिल सकता है.
'दोषियों पर हो कार्रवाई'
केंद्रीय मंत्री ने बैंक की खराब माली हालत की ओर सीएम का ध्यान आकर्षित कराते हुए लिखा कि बैंक पर क्षेत्र के किसानों की गहरी निर्भरता है. विशेष रूप से खाद, बीज और कृषि आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए, वर्तमान वित्तीय संकट ने किसानों के बीच गंभीर चिंता और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर संकट गहरा गया है और आजीविका पर भारी दबाव पड़ रहा है. साथ ही उन्होंने बैंक में वित्तीय अनियमितता एवं गबन करने वाले दोषियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
पैसे के लिए भटक रहे लोग
इस समय जिला सहकारी बैंक में जिन लोगों का पैसा फंसा है, वह पैसों के लिए भटक रहे हैं. हालत यह है कि कई जमाकर्ता कलेक्टर सहित केंद्रीय मंत्री से भी गुहार लगा चुके हैं. लोगों को परेशानी को देखते हुए सिंधिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.
2 साल पहले हुआ था घोटाला
करीब 2 साल पहले जिला सहकारी बैंक कोलारस में एक चपरासी ने अपने साथियों के साथ मिलकर 100 करोड़ का घोटाला किया था. इस चपरासी को कैशियर का प्रभार दे दिया गया था, जिसके बाद उसने बैंक में करोड़ों रुपए का गबन कर दिया. मामले में जांच के बाद कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.