आकश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश में आज शिवराज कैबिनेट (shivraj cabinet meeting) की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई है. इस बैठक में कई अहम परियोजनाओं (projects) को मंजूरी मिली है. बता दें कि आज शिवराज कैबिनेट की बैठक में बिजना, हर्रई माइक्रो सिचाई, सिवनी जिला परियोजना को मंजूरी मिली है. बैठक के दौरान गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (home minister narottam mishra) ने कहा कि आज का दिन किसानों और विद्यार्थियों के नाम रहा. साथ ही गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव लाने पर भी टिप्पणी की.


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इन परियोजनाओं को मिली मंजूरी
शिवराज कैबिनेट की बैठक में सिवनी में सिंचाई परियोजना के लिए 29.37 करोड़ की प्रशासकीय मंजूरी, चंदेरी में सूक्ष्म सिंचाई परियोजना केलिए 558.05 करोड़ की स्वीकृति, 28 हजार हेक्टेयर में सिंचाईं का लाभ अशोकनगर जिले में मिलेगा. वहीं जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत सीएम राइज योजना के अंतर्गत 35 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की सहमति कुल 95 बनेंगें. कृषि कल्याण विभाग के तहत विश्वविद्यालय के आवश्यकता के लिए 75 करोड़ विकास निधि में अलग अलग मद में राशि मंजूर की जाएगी. नवगठित मध्यप्रदेश कार्य गुणवत्ता परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पदनाम में शाब्दिक परिवर्तन किया गया, अब वे महानिदेशक कहलाएंगे.


लोक परिसंपत्ति विभाग के तहत जूनी इंदौर की जमीन को पांच करोड़ 47 लाख की कीमत पर देने की सहमति बनी है. महिदपुर बस डिपो उज्जैन की जमीन को भी छह करोड 29 लाख में देने की सहमति बनी है. जबलपुर में परिवहन विभाग की जमीन को 130 करोड़ 69 लाख की कीमत में 100 फीसदी की राशि जमा कराने के बाद देने की मंजूरी मिली है. वहीं उत्तर प्रदेश के झांसी में मध्य प्रदेश परिवहन विभाग की भूमि को देने का फैसला 21 करोड़ 72 लाख में 100% जमा कराने के बाद दिया जाएगा.


जानिए क्या कहा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने
शिवराज कैबिनेट के बैठक दौरान कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव लाने पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अध्यक्ष की आंशिक भूमिका थी, मूल काम संसदीय कार्यमंत्री का था, जिसने प्रस्ताव रखा था. जिसे बहुमत के बाद निलंबित किया था.अविश्वास प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री के खिलाफ लाना था. अध्यक्ष ने तो उन्हें खेद प्रकट करने का मौका दिया था. मैं उनकी बुद्धि पर सवाल नहीं उठा रहा हूं. नरोत्तम मिश्रा ने आगे कहा कि सदन की परंपरा कोई तोड़े तो उनके साथ खड़े लोगों को भी विचार करना चाहिए. सदन के साथ अमर्यादित आचरण करने वाले लोग लौट कर नहीं आते इतिहास देख लीजिए.


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