महाकाल भी रखते हैं श्रावण सोमवार व्रत, ये काम होने के बाद ही करते हैं भोजन! कई रूपों में दर्शन देते हैं भगवान शिव
श्रावण माह में शिव दर्शन करने से अनेक पापों का नाश होता हैं. साथ ही इस माह में जो भी भक्त शिव को जलधारा, दुग्ध धारा व बैल पत्र चढ़ाता है तो उसके तीन जन्मों के पाप का विनाश होता है व उसको अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है.
Shravan Somvar: श्रावण माह का आज तीसरा सोमवार है. शिवालयों में भक्तो का जनसैलाब उमड़ने लगा है, क्योंकि शिव पूजा का श्रावण माह में अधीक महत्व होता है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेष बात यह है कि बाबा महाकाल श्रावण माह में प्रत्येक सोमवार उपवास में रहते हैं. जब देर शाम बाबा नगर भ्रमण कर भक्तों का हाल जान मंदिर लौटते हैं तब उन्हें भोग लगाया जाता है.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि बाबा महाकाल मंदिर में परंपरा रही है कि श्रावण मास की 4 या 5 सवारियां होती हैं. दो सवारी भाद्रपद (भादो मास) की होती हैं, जिसमें बाबा नगर भ्रमण पर हर सोमवार भक्तों का हाल जानने शाही ठाठ बाट के साथ निकलते हैं, लेकिन इस बार अधिक मास होने से 8 सवारी श्रावण की व 2 सवारी भादो मास की कुल 10 सवारी रहेंगी. भगवान श्री महाकालेश्वर श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में हाथी पर श्री मनमहेश के रूप में व गरूड़ रथ पर श्री शिव-तांडव रूप में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे. इस प्रकार हर सोमवार को एक-एक वाहन और विग्रह के रूप में प्रतिमा बढ़ती जाएगी व कूल 10 विग्रह भगवान के निकलेंगे.
बिना इजाजत नहीं खोलते द्वार
मंदिर में आम दिनों की तुलना में श्रावण सोमवार को डेढ़ घण्टे पहले द्वार खुल जाते है. यहां फुट पांति व जनेऊ पाती के वंशा वली अनुसार पूजन का क्रम होता है. ये समय फुट पांति के पुजारियों के लिए है. उन्होंने आज द्वार खुले हैं. सबसे पहले बाल भद्र की पूजा हुई, उसके बाद भगवान के डेली का पूजन हुआ और घण्टाल बजा कर भगवान को संकेत दिया गया कि हे महादेव महाकाल हम आपके द्वार खोल रहे हैं और प्रवेश करना चाहते हैं फिर मान भद्र का पूजन कर भगवान के गर्भ गृह की डेली का पूजन होता है. इस तरह गर्भ गृह में हर रोज प्रवेश का क्रम पूरा होता है.
प्राप्त होता है अक्षुण्य पुण्य
श्रावण माह में शिव दर्शन करने से अनेक पापों का नाश होता हैं. साथ ही इस माह में जो भी भक्त शिव को जलधारा, दुग्ध धारा व बैल पत्र चढ़ाता है तो उसके तीन जन्मों के पाप का विनाश होता है व उसको अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है. 1 बिल्वपत्र से 1 लाख तक बिल्व पत्र भगवान को अर्पण करने से कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है. इन दिनों जितने भी व्रत आते हैं वो सती और माता पार्वती ने किए हैं. ये व्रत दोनों ने अपने अपने समय में शिव को मनाने व शिव को पाने के लिए किए थे. शिव जैसे पति की कामना लिए वे व्रत करती थीं और मांगती थी में धन्य हो जाऊंगी. इसलिए हमारे सनातन में महत्व है की जो महिलाएं चार पहर की पूजा, व्रत, उपवास आदि करती हैं. उससे उन्हें सौभाग्य के फल की प्राप्ति होती है. कुंवारी बच्चियों को मनोवांछित वर प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है.