Skand Shashthi 2022: प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष को स्कंद षष्ठी आती है.  इस तिथि पर महिलाएं ने व्रत रखती है. हम जानते हैं कि हर महिला अपने बच्चों को दुनिया की किसी भी चीज से ज्यादा प्यार करती है. यहां तक ये कहा जा सकता है कि वे अपने बच्चों को खुद से ज्यादा प्यार करती हैं और हम जानते हैं कि मां अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए खुद की जान दे सकती है. बता दें कि अपने बच्चों के कल्याण और सुखी जीवन के लिए महिलाएं इस दिन ये व्रत रखती हैं. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ स्कंद षष्ठी कल यानि 5 जून को पड़ रही है. इस बार ये रविवार को पड़ेगी. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने बच्चों की प्रगति के लिए शिव जी के बड़े पुत्र कार्तिकेय की पूजा करती हैं. हम जानते हैं कि हर मां चाहती है कि उनके बच्चे जीवन में बड़ी सफलता हासिल करें इसलिए वे कार्तिकेय की पूजा करती हैं. 


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बता दें कि भगवान कार्तिकेय की पत्नियां वल्ली और देवयानई हैं. उन्हें सुब्रमण्य, सुब्रमणि, मुरुगा, शनमुगा, स्कंद, अरुमुगा और कुमारस्वामी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर किसी महिला को संतान नहीं होती है और ऐसे में वो शिव जी के पुत्र कार्तिकेय की पूजा करती है तो उनके आशीर्वाद से उसे संतान की प्राप्ति होती है. 


कब रखें व्रत?
ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 05 जून रविवार को प्रातः 04:52 बजे से होगी और इस तिथि की समाप्ति 06 जून सोमवार से प्रातः 06:39 बजे होगी. बता दें कि उदयतिथि के आधार पर आपको स्कंद षष्ठी पर 05 जून को व्रत रखना चाहिए.


पूजा का शुभ मुहूर्त 
गौरतलब है कि शुभ मुहूर्त में पूजा करने से ही किसी भी पूजा का लाभ मिलता है. यदि आप पूजा कर रहे हैं , लेकिन शुभ मुहूर्त में नहीं तो आपको व्रत और पूजा-पाठ का लाभ नहीं मिलेगा. हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार स्कंद षष्ठी के दिन व्रत रखने और पूजा करने का सबसे अच्छा समय सुबह 05.23 बजे से दोपहर 12.25 बजे तक है.


स्कंद षष्ठी की पूजा कैसे करें


यदि आप स्कंद षष्ठी का व्रत कर रहे हैं और पूजा विधि नहीं जानते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं. अगर आपने स्कंद षष्ठी का व्रत रखा है तो पूजा करने के लिए सुबह जल्दी स्नान करें और स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान विष्णु की पूजा के बाद आप कार्तिकेय की पूजा करें. बता दें कि उनका आशीर्वाद पाने के लिए आपको भगवान शिव-पार्वती की भी पूजा करना जरूरी है. साथ ही शिव-पार्वती जी को दीपक जलाना न भूलें.  उन्‍हें जल, फूल, कलावा, अक्षत, लहसुन, चंदन चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है. जब आपका व्रत पूरा हो जाए तो अंत में आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं. 


(Disclamer: यहां दी गई समस्त जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)