MP Snake Court: मध्य प्रदेश में यहां लगती है नागराज की अदालत! पेशी में आती हैं सांपों की आत्मा
MP Snake Court: सीहोर के ग्राम लसूडिया परिहार में दीपावली के दूसरे दिन हनुमान मंदिर में सांपों की अदालत लगती है. यहां सर्पदंश से पीड़ित लोग अपना इलाज कराने आते हैं. जानिये क्या है यहां की पूरी कहानी, मान्यता और दावा...
MP Snake Court: भारत ही नहीं दुनियाभर में कई तरह की अदालतें लगती है. यहां आरोपियों को पेश किया जाता है और सजा भी सुनाई जाती है. भारत देश में ऐसी कई तरह की अदालते लगाई जाती है, जिनके बारे में जानकर लोग अचरज में पड़ जाते हैं. ऐसी ही अदालत लगती है मध्य प्रदेश के सिहोर जिले में, जहां सांपों की पेशी होता है और उनसे वचन लिया जाता है.
कब होता है आयोजन?
सांपो का ये अनोखी अदालत लगती है सिहोर जिले के ग्राम लसूडिया परिहार में, जहां सर्पदंश से पीड़ित लोगों का इलाज विशेष मंत्रों द्वारा किया जाता है. इस अदालत का आयोजन दिवाली के दूसरे दिन किया जाता है. इसमें इलाके से काफी लोग इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं.
सिद्ध स्थान होने का दावा
लसूडिया परिहार सीहोर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है. का दावा है कि ये स्थान सिद्ध है. यहां आने से सर्पदंश से पीड़ित लोगों को आराम मिलता है. जिस व्यक्ति को सर्प ने काट लिया उसका इलाज यहां विशेष पंडितों द्वारा मंत्र पढ़कर किया जाता है.
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विशेष मंत्रों से होता है इलाज
कहा जाता है कि सर्पदंश पीड़ित लोगों का विशेष मंत्रों से इलाज के लिए दीपावली के दूसरे यानी पड़वा पर सांपों की अदालत में पेशी के लिए बुलाया जाता है. यहां हनुमान जी के सामने एक विशेष वाद्य यंत्र बजाकर पीड़ित व्यक्ति के शरीर में उस सर्प की आत्मा को बुलाया जाता है जिसने उसे काटा था.
सांप की आत्मा से पूछा जाता है सवाल
कहा जाता है कि जब सांप की आत्म उस व्यक्ति में आ जाती है तो उस सर्प से उसको काटने का कारण पूछा जाता है और उससे यह वचन लिया जाता है कि वह कभी भी उसे नहीं काटेगा.
कई लोग जानते हैं भरणी मंत्र
दावा किया जाता है कि यह परंपरा लगभग सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है. यहां पर दर्जनों लोग ऐसे हैं, जो भरणी नाम के मंत्र को जानते हैं. यह भरणी नाम का मंत्र विशेषकर सर्पदंश पीड़ितों का इलाज करने के लिए पढ़ा जाता है.
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आस्था या अंधविश्वास
सीहोर के इस गांव में लगने वाली सांपों की इस अदालत को आस्था कहे या अंधविश्वास यह तो जांच का विषय है. परंतु सांपों की अदालत पिछले कई सैकड़ों साल से अचरज का विषय जरूर बनी हुई है.
नोट- इस तरह के अंधविश्वास और परंपराओं के बारे में Zee Media पुष्टि नहीं करता और न ही इस तरह की मान्यता को बढ़ावा देता है. ये स्टोरी केवल और केवल लसूडिया परिहार गांव के लोगों के आस्था, दावा और मान्यताओं के आधार पर लिखी गई है.
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