नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज की ओर से जारी किए जाने वाले शादियों के प्रमाण पत्रों को अवैध करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज के पास मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. इसी के साथ कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी.


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दरअसल कोर्ट में मध्यप्रदेश की एक नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी. मामला लव मैरिज का बताया जा रहा है. 


लड़की वालों ने कराई एफआईआर
बता दें कि लड़की के परिवार वालों ने उसे नाबालिग बताते हुए अपनी लड़की के अपहरण और रेप की एफआईआर दर्ज करा रखी है, जबकि युवक का कहना था कि लड़की बालिग है. उसने अपनी मर्जी से शादी की है. यह विवाह आर्य समाज मंदिर में हुआ है.


मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार नहीं- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की अवकाशकालीन बेंच ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की बालिग है और उन्होंने एक आर्य समाज मंदिर में शादी की है. बेंच ने कहा कि ''आर्य समाज के पास मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने कोई अधिकार नहीं, यह अधिकारियों का काम है. गौरतलब है कि आर्य समाज एक हिंदू सुधारवादी संगठन है और इसकी स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में की थी.


MP हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने दी थी
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 4 अप्रैल को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए परमिशन दी थी. दरअसल MP हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2021 को आर्य समाज संगठन की मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा को शादियां करते समय विशेष विवाह अधिनियम 1954 (SMA) के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया था.