RSS चीफ मोहन भागवत के बयान पर IAS नियाज खान का ट्वीट हुआ वायरल, जानिए क्या बोले?
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RSS चीफ मोहन भागवत के बयान पर IAS नियाज खान का ट्वीट हुआ वायरल, जानिए क्या बोले?

आईएएस नियाज खान (IAS Niyaz Khan) बीते दिनों द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर ट्वीट कर चर्चा में आए थे. साथ ही वह पहले भी आरएसएस (RSS) चीफ के बयान का समर्थन कर चुके हैं. 

RSS चीफ मोहन भागवत के बयान पर IAS नियाज खान का ट्वीट हुआ वायरल, जानिए क्या बोले?

नई दिल्लीः वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जारी विवाद के बीच आरएसएस चीफ मोहन भागवत का एक बड़ा बयान सामने आया है, जिसमें मोहन भागवत ने कहा है कि हम हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखें? मोहन भागवत ने कहा है कि मसलों को आपसी बातचीत और समझौतों से सुलझाया जाना चाहिए. देश में मोहन भागवत के इस बयान पर चर्चा छिड़ी हुई है. इस बीच कश्मीर फाइल्स पर ट्वीट कर चर्चा में आए आईएएस अधिकारी नियाज खान ने भी मोहन भागवत के बयान को लेकर ट्वीट किया है, जिसे खूब पसंद किया जा रहा है. 

ट्वीट कर क्या बोले IAS Niyaz Khan
आईएएस नियाज खान ने संघ प्रमुख के बयान वाली एक खबर को पोस्ट करते हुए लिखा "मैं सम्मानीय मोहन भागवत साहब के महान विचारों को सलाम करता हूं. सभी भारतीयों के एक जैसे जीन्स हैं और हमारे पूर्वज भी एक थे. सभी को अपने तरीके से पूजा करने की आजादी है. सबसे अच्छी बात ये है कि हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच प्यार बढ़ना चाहिए. हम सभी एक हैं."

नियाज खान पहले भी आरएसएस चीफ के बयान का समर्थन कर चुके हैं. बता दें कि मोहन भागवत ने बीते दिनों अपने एक बयान में कहा था कि हिंसा से किसी को फायदा नहीं होता है. जिस समाज को हिंसा पसंद है, वह अंतिम दिन गिन रहा है. भागवत के इस बयान पर आईएएस नियाज खान ने ट्वीट कर लिखा था कि "मैं मोहन भागवत जी से सहमत हूं. हर शब्द सच है. भारत को एक मजबूत और एकजुट देश की जरूरत है ना कि बंटे हुए देश की.हमारे पास पहले से ही लड़ने के लिए चीन के रूप में एक बड़ा दुश्मन है, ऐसे में हमें अपने ही लोगों से नहीं लड़ना चाहिए. केवल भाईचारा और हमारी एकता ही भारत को मजबूत राष्ट्र बना सकती है."

बता दें कि गुरुवार को नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान मोहन भागवत ने कहा कुछ स्थानों के बारे में हमारी अलग श्रद्धा थी और हमने उसके बारे में बात की लेकिन रोज नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए. भागवत ने कहा कि संघ अब किसी आंदोलन में शामिल नहीं होगा. हालांकि ऐसे मामलों का समाधान बातचीत से हो सकता है.   

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