MP Politics: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का MP में भी दिखा असर, किसी ने किया स्वागत कोई बोला नो कमेंट
MP News: सुप्रीम कोर्ट ने दुकानों पर नाम डालने के फैसले पर रोक लगा दी है. इस फैसले का एमपी में भी असर दिखा है. क्योंकि इसी तरह की मांग मध्य प्रदेश में भी हुई थी.
Supreme Court: कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने के लिए दुकानों पर अपना नाम डालने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है, होटल वालों को केवल यह बताना चाहिए कि वह किस तरह का खाना शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं. लेकिन नाम लिखना जरूरी नहीं है. यूपी में इस तरह का आदेश जारी होने के बाद मध्य प्रदेश में भी ऐसी ही मांग उठी थी. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाई तो उसका असर मध्य प्रदेश में भी दिखा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस ने जहां स्वागत किया तो बीजेपी के नेताओं ने इस मामले पर कुछ नहीं कहा.
कांग्रेस ने किया स्वागत
मध्य प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया. कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर कहा 'मोदी नाम लिखकर देख ले पता चल जाएगा कि देश नफरत को पसंद करता है या मोहब्बत को. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकार जनता को सुविधा देने में नाकाम है. सत्ता में बने रहने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं.'
बीजेपी विधायक बोले नो कमेंट
वहीं जब इस मामले में बीजेपी विधायक भगवानदास सबनानी से सवाल किया तो उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नो कमेंट, लेकिन उन्होंने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर निशाना साधा. विधायक ने कहा पीएम मोदी का नाम तो सब जगह हैं, तीसरी बार सरकार हैं, लेकिन कांग्रेस अभी तक मध्य प्रदेश में 100 पर भी नहीं पहुंच पाई है. ऐसे में दुकानों के सामने अपना नाम लिखने के वाले फैसले पर फिलहाल एमपी में भी सियासत तो हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
यूपी की योगी सरकार ने कावड़ यात्रा पर नए नियम लाए जाने के बाद उत्तराखंड़ और मध्यप्रदेश में भी इसी तरह के नियम लाने की बातचीत देखी गई थी. लेकिन यह फैसला दूसरे राज्यों में लागू होता उससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है. खास बात यह है कि इस फैसले का एनडीए में शामिल कुछ पार्टियों ने नाराज जताया था. एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू, रालोद और लोजपा इस फैसले पर नाराजगी जताई थी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था.
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