टंट्या मामा पर सियासतः आदिवासियों को लेकर भिड़े कुणाल और विश्वास, जमकर हुआ वार-पलटवार
मध्य प्रदेश की सियासत के लिहाज से आदिवासी वर्ग सबसे अहम माना जाता है, ऐसे में टंट्या मामा को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के नेता आमने-सामने आ गए हैं.
भोपालः मध्य प्रदेश की पातालपानी स्टेशन अब टंट्या भील के नाम से जानी जाएगी. टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर शिवराज सरकार ने इंदौर में मेगा इवेंट का आयोजन किया है, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई बड़े आदिवासी नेता शामिल हुए. लेकिन आदिवासी क्रांतिकारी टंट्या भील के नाम पर सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस के नेता इस आयोजन को लेकर सामने-सामने आ गए हैं.
टंट्या मामा पर सियासत
दरअसल, मध्य प्रदेश की सियासत के लिहाज से आदिवासी वर्ग सबसे अहम माना जाता है, टंट्या मामा के सम्मान के बहाने बीजेपी आदिवासियों के दिल में अपनी जगह बनाने की तैयारी कर रही है. राज्यपाल मंगुभाई पटेल और सीएम शिवराज सिंह जनजातीय गौरव टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर उनकी कर्मस्थली पातालपानी में टंट्या मामा की प्रतिमा का अनावरण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इससे पहले पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम पहले ही टंट्या भील के नाम पर रख दिया गया है.
कांग्रेस ने साधा निशाना
टंट्या भील के बलिदान दिवस पर मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा आयोजित किए गए आयोजन पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं, कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के कृषि मंत्री टंट्या भील को लुटेरा बताते हैं, सीएम शिवराज को जवाब देना चाहिए कि क्या वे कृषि मंत्री कमल पटेल पर कार्रवाई करेंगे. कुणाल चौधरी ने कहा कि जनजातियों पर सिर्फ बड़ी-बड़ी बाते करने से काम नहीं होगा, आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं, बीजेपी की सरकार सब देख रही है, लेकिन सरकार केवल आदिवासियों को लुभा रही है.''
बीजेपी ने किया पलटवार
वहीं कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया, शिवराज सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि ''हम जिस भी महापुरुष को श्रद्धाजंलि देते हैं, कांग्रेस उस पर सवाल उठाती है, कांग्रेस चाहती है कि सिर्फ नेहरू परिवार का महिमा मंडन हो, लेकिन हम जनजातीय वीरों के बारे में लोगों को बताते हैं तो कांग्रेस को दर्द होता है.''
दरअसल, मध्य प्रदेश में आदिवासी वोट बैंक सबसे अहम माना जाता है, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल इस वोट बैंक को लुभाने में जुटे हैं, बीजेपी ने जनजातीय गौरव दिवस मनाकर आदिवासी वर्ग को अपनी तरफ लाने की कोशिश की है, ऐसे में कांग्रेस भी एक्टिव हो गई, जहां कांग्रेस भी लगातार आदिवासी क्षेत्रों में आयोजन कर रही है. यही वजह है कि दोनों दल टंट्या भील को लेकर भी एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.
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