Tech News: Google ने 1 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड वाले इन 17 ऐप्स को हटाया! जानिए कारण?
Tech News: Google ने कई ऐप्स पर बड़ा एक्शन लिया है. Google ने अनधिकृत डेटा संग्रह और धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों के कारण प्ले स्टोर से 17 लोन ऐप्स को हटा लिए हैं.
Google has removed 17 loan apps: Google ने कथित तौर पर प्ले स्टोर से 17 लोन एप्लीकेशन्स को हटा दिए हैं. इन ऐप्स पर यूजर्स का अनधिकृत डेटा (unauthorized data) एकत्र करने का आरोप लगा है. ये ऐप्स कथित तौर पर शुरुआत में खुद को वैध लोन सर्विसेस के रूप में पेश करके बाद में जालसाजों द्वारा यूजर्स को ब्लैकमेल करते थे. ऐप्स पर आरोप लगा है कि ये यूजर्स के डिवाईस से संवेदनशील जानकारी प्राप्त करते थे. फिर उन्हें एकत्रित डेटा को उजागर करने या दुरुपयोग करने के लिए ब्लैकमेल करते थे. वे उनसे अधिक ब्याज वसूलते हैं.
बता दें कि ईएसईटी शोधकर्ताओं (ESET researchers) पर इन एप्लीकेशन्स पर ध्यान गया. एप्लीकेशन्स विशेष रूप से अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों को टारगेट करते थे. गूगल द्वारा रिपोर्ट किए गए 18 ऐप्स में से Google ने 17 को हटा दिया. हालांकि, एक ऐप अभी भी प्ले स्टोर पर मौजूद है. बता दें कि आपको Google के हटाने के बावजूद यूजर्स को इन ऐप्स को एंड्रॉइड डिवाइस से मैन्युअल रूप से हटा देना चाहिए.
17 एप्लिकेशनों के नाम
गूगल द्वारा हटाए गए 17 एप्लिकेशनों की लिस्ट में एए क्रेडिट, अमोर कैश, गुयाबाकैश, ईज़ीक्रेडिट, कैशवॉ, क्रेडिबस, फ्लैशलोन, प्रेस्टमोसक्रेडिटो, प्रिस्टामोस डी क्रेडिटो-युमीकैश, गो क्रेडिटो, इंस्टानियो प्रेस्टामो, कार्टेरा ग्रांडे, रैपिडो क्रेडिटो, फिनअप लेंडिंग, 4एस कैश, ट्रूनायरा, और ईज़ीकैश शामिल हैं.
100 से अधिक वेबसाइटों के खिलाफ हुई थी कार्रवाई
गौरतलब है कि हाल ही में भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इललीगल इन्वेस्टमेंट (illegal investments) और पार्ट टाइम जॉब धोखाधड़ी (part-time job frauds) में शामिल 100 से अधिक वेबसाइटों के खिलाफ कार्रवाई की थी. विदेशी लोगों द्वारा संचालित इन वेबसाइटों की पहचान केंद्रीय गृह मंत्रालय की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई ( Union Home Ministry's National Cybercrime Threat Analytics Unit) की एक यूनिट भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cybercrime Coordination Centre ) द्वारा की गई थी. ICCC ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (Information Technology Act of 2000) के तहत इन धोखाधड़ी वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने की सिफारिश की थी. जिसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने बाद में इन साइटों को ब्लॉक कर दिया. कथित तौर पर वेबसाइटें भारतीय यूजर्स को इन्वेस्टमेंट स्कैम और पार्ट टाइम जॉब फोर्ड सहित विभिन्न धोखाधड़ी में लगी हुई थीं.