राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: (sawan second monday 2022) सावन माह में बड़े हर्ष उल्लास व भक्ति भाव के साथ शिव भक्त शिवालयों में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में मंदिर पहुंच रहे हैं. आज सावन का दूसरा सोमवार है. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिण मुखी बाबा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जो बाबा महाकाल के नाम से प्रसिद्धि हैं. इस मंदिर में आज सावन पर्व के दूसरे सोमवार को पूजारी महेश शर्मा के अनुसार तड़के 2:30 बजे गर्भ गृह के पट खोले गए. सर्वप्रथम पंचायतन देवता की पूजा की गई. इसके बाद 3:30 बजे से 5 बजे के बीच मंगला आरती जिसे भस्मार्ती कहा जाता है सम्पन्न की गई और आम दर्शनार्थियों के दर्शन हेतु प्रवेश दिया गया. 


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महाकाल के नारों से गूंज उठा मंदिर परिसर
सावन का दूसरा सोमवार होने से श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी दिखाई दी. देश भर के कोने-कोने से भक्त बाबा की एक झलक पाने उनसे आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं. मंदिर परिसर पूरी अवंतिका नगरी आज जय श्री महाकाल के जयकारों से गुंज उठी है. बता दें कि पूरे महीने सावन में हर दिन बाबा का प्रत्येक दिन आम दिनों की तरह ही श्रृंगार पूजन होता है. लेकिन सोमवार का दिन विशेष हो जाता है. इस दिन बाबा का विशेष पंचामृत अभिषेक किया जाता है, आज देर शाम 4 बजे बाबा शाही ठाठ बाट के साथ नगर भ्रमण पर भक्तों का हाल जानने निकलेंगे मार्ग परंपरा अनुसार ही रहेगा.



इस वर्ष श्रावण भादौ मास की 6 सवारी जानिए कब कब


. 18 जुलाई श्रावण मास की पहली सवारी थी.
. 25 जुलाई श्रावण मास की दूसरी आज दूरी सवारी है.
. 01 अगस्त श्रावण मास की तीसरी सवारी निकलेगी.
. 08 अगस्त श्रावण मास की चौथी सवारी निकलेगी.
. 15 अगस्त भादौ मास की पहली सवारी निकलेगी.
. 22 अगस्त श्रावण-भादौ मास की शाही व अंतिम सवारी होगी



जानिए महाकाल की सवारी मार्ग के बारे में
आज सावन के पहले सोमवार को भगवान महाकाल पालकी में चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर मनमहेश रूप में दिखाई देंगे. 03 से 04 बजे के बीच मंदिर ने शासकीय पूजन के बाद बाबा 04 बजे पालकी में सवार होकर महाकाल मंदिर के बाहर आएंगे और यहां पर सबसे पहले पुलिस बल की टुकड़ी बाबा महाकाल को गॉड ऑफ ऑनर देगी. जिसके बाद पुलिस बैंड बाबा को सलामी देते हुए आगे चलेंगे. वहीं पालकी के आगे पुलिस घुड़सवार पुलिस बैंड और पुलिस शस्त्र बल की आगे-आगे चलेंगे वही बाबा महाकाल की पालकी के साथ-साथ भजन मंडलियां भी चलेगी. बाबा महाकाल अपने पुराने मार्ग से होते हुए क्षिप्रा नदी पहुंचेंगे.  यहां बाबा महाकाल की पालकी का मां क्षिप्रा के जल से पूजन अभिषेक किया जाएगा. इसके बाद परंपरा अनुसार मार्ग से ही नगर में भ्रमण करते हुए देर रात तक पुनः महाकाल मंदिर पहुंचेंगे.


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