राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: केंद्रीय जेल भैरवगढ़ (Central Jail Bhairavgarh) एक बार फिर सुर्खियों में है. जेल के प्रहरी नरेंद्र चौधरी (Jail guards Narendra Chaudhary) और दीपक मंगलवार को जनसुनवाई में जिला कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम (Kumar Purushottam Chaudhary)  के सामने शिकायत दर्ज करवाने और न्याय के लिए गुहार लगाने पहुंचे. प्रहरीयों ने जेल में शराब, चरस, गांजा सहित नशीले पदार्थ कैंटीन के माध्यम से केदियो तक पहुंचाने, कैंटीन में सामान की तलाशी नहीं होने का गंभीर आरोप लगाया और कहा कि एक बाहरी व्यक्ति जगदीश परमार को जेल प्रशासनन ने नियुक्त किया हुआ है. जिसके माध्यम से ये कार्य होता है। केदियो से खान पान, नशे के नाम पर तो जवानों से छुट्टी पर जाने आने, शासकीय कार्य करवाने, आवास आवंटन को लेकर उगाई होती है. कुल मिलाकर जैल कर्मियों को प्रताड़ित करने का कार्य किया जाता है. महिला कर्मियों को प्रताड़ित किया जाता है. प्रहरी का कहना है कि कई बार शिकायत दर्ज करवाई कोई सुनवाई नहीं हो रही. मामले में कलेक्टर ने प्रहरियों को जांच का आश्वासन दिया है.


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दरअसल, शिकायत कर्ता नरेंद्र चौधरी ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि मुझे 1 माह की सैलरी नहीं दी गई कैसे गुजारा करें? मेरी प्रहरी भर्ती है संतरी की. भर्ती के बाद एक मौखिक आदेश भी होता है. जिसमें कहा जाता है जिसका मन है,वो ड्राइवरी करने का वो कर सकता है .जिसको लेकर मैंने मना कर दिया था. जिसके बाद  मैं ड्यूटी पर हूं रोज जा रहा हूं मुझे अनुपस्थित घोषित किया हुआ है. जिसका कारण मैं जानना चाहता हूं कई बार आला अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत कर चुका हूं, लेकिन जेल अधीक्षक के रसूख के आगे कहीं उसकी सुनवाई नहीं हो रही है.हालांकि, मामले में जेल अधीक्षक उषा राजे से संपर्क नहीं हो पाया.


मादक पदार्थ का रेट तय
प्रहरी ने जनसुनवाई में कलेक्टर के सामने शिकायत दर्ज करवाई और आरोप लगाया कि जेल में एक प्राइवेट व्यक्ति जगदीश परमार को नियुक्त किया हुआ है जो कि अवैध रूप से पैसों की उगाई कर रहा है. बंदियों से नहीं जवानों से भी.जवानों को छुट्टी पर जाना है तो उस व्यक्ति से संपर्क करना पड़ता है. पैसा देकर हमें छुट्टी मिलती है. छुट्टी लेने और छुट्टी से वापस आने का पैकेज बना रखा है.सरकारी आवास आवंटित करवाना है उसका पैसा देना होता है. यानी महीने भर की छुट्टी के वापस आने पर 50 हजार देना होंगे, कोई शासकीय कार्य करवाना है, आवास आवंटन है तो 35 से 45 हजार तक डिमांड रहती है. एक ही व्यक्ति के माध्यम से कार्य हो रहा है और उसी आड़ में अवैध मादक पदार्थ जिसमें गांजा, चरस, तम्बाकू, शराब, मास मच्छी सबका सेवन करवाया जा रहा है. बंदियों को और ये सब सामान कैंटीन के माध्यम से लाया जाता है.आरक्षक ने कहा कि जेल में हर नशे के सामान का रेट तय है शराब 2,000 में मिलेगी, खाने का आइटम 2 से 3 हजार में, तम्बाकू 200 से 500 तक में जिसका ओरिजनल रेट मार्केट में 5 रुपये है.पूर्व में एक मोबाइल भी पकड़ाया है.


कैंटीन के सामान की तलाशी नहीं होती 
इसके पहले भी कैंटीन के सामान की तलाशी नहीं होती थी. आरक्षक ने आरोप लगाया कि बीते 7 दिन की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग देखी जा सकती है. जेल में जिसमें साफ नजर आएगा कैंटीन में कोई तलाशी सामान की नहीं होती. 7 दिन की ही रिकॉर्डिंग सेव हो पाती है. कैंटीन में कार्यरत प्रहरी की मिली भगत होना उक्त प्राइवेट व्यक्ति के साथ बताया. प्राइवेट नियुक्त व्यक्ति का नाम आरक्षक ने जगदीश परमार कहा कि वहीं जेल अधीक्षक के रोल के बारे में पूछा तो आरक्षक ने बताया कि उनकी अनुमति के बिना तो संभव ही नहीं है क्या जेल अधीक्षक को सूचित नहीं किया होगा कि कोई आरक्षक बीते डेढ़ माह से कलेक्टर के पास शिकायत पर जा रहा है.