क्षिप्रा शुद्धिकरण के लिए निर्मोही अखाड़ा के संत धरने पर, अन्न का किया त्याग!
उज्जैन में निर्मोही अखाड़ा के संत स्वामी ज्ञानदास महाराज ने क्षिप्रा नदी की शुद्धिकरण के लिए अन्न का त्याग कर अनशन पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब तक कार्य शुरू नहीं होगा हम आश्वासन नहीं मानेंगे.
राहुल सिंह राठौड़/उज्जैनः बाबा महाकाल की नगरी में पवित्र कल कल बहने वाली मोक्ष दायनी मां क्षिप्रा नदी के शुद्धिकरण को लेकर एक बार फिर संत समाज में आक्रोश है. निर्मोही अखाड़े से महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञान दास महाराज अन्न त्याग कर अनशन पर बैठ गए है, जिनका गुजरात से आये संत भी साथ देते नजर आये हैं. उन्होंने जिम्मेवारों कि हमें आश्वासन नहीं काम चाहिए. मैं सिर्फ जल, दूध का सेवन करके शिप्रा शुद्धीकरण के लिए बाबा महाकाल से प्रार्थना करुंगा.
जानिए क्या कहा स्वामी ज्ञान दास ने
बता दें कि स्वामी ज्ञान दास का कहना है कि बाबा महाकाल की कृपा है कि हम उज्जैन में निवास करते है और उज्जैन में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन को मां क्षिप्रा नदी में स्नान को पहुंचते हैं. मां क्षिप्रा की दुर्दशा को लेकर मैनें पिछले साल नवंबर में अन्न त्याग कर अनशन शुरू किया था अनशन कई दिनों चला मेरे साथ 13 अखाड़ो के संत जुड़े और प्रशासन ने हमें आश्वासन दिया कि हम शुद्धि करण के कार्य मे गति लाएंगे और उनके अनुरोध पर व दबाव में आकर मैने मेरे साथ संतो ने अनशन खत्म किया. लेकिन लंबा वक्त 1वर्ष बित जाने के बाद भी कोई ठोस कदम मां क्षिप्रा शुद्धि करण के लिए नहीं लिए गए. मां क्षिप्रा जस की तस हैं. आज मेरे अनशन को 1 साल हो जाता तो शायद मां शिप्रा के शुद्धिकरण के लिए काम शुरू हो जाता.
कार्य शुरू होने तक जारी रहेगा अनशन
महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानदास महाराज ने कहा कि में झूठे आश्वासन देख चुका हूं. अब दोबारा मां क्षिप्रा के शुद्धिकरण के लिए अनशन की शुरुआत कर रहा हूं और प्रण लेता हूं कि कोई भी मुझे आश्वासन देने आएगा तो मैं उसके आश्वासन को नहीं मानूंगा, अन्न ग्रहण भी नहीं करूंगा सिर्फ लिक्विड ही मेरा भोजन होगा और जब तक मां क्षिप्रा के शुद्धिकरण के लिए कार्य शुरू नहीं हो जाता. मैं यह अनशन जारी रखूंगा चाहे मेरे प्राण चले जाएं.
सीएम शिवराज ने भी दिया था आश्वासन!
क्षिप्रा शुद्धिकरण को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 30 जनवरी 2022 को साधु संतों के साथ एक बैठक की थी, जिसमें 13 अखाड़ों के संतों के प्रमुखों के शुद्धिकरण के समाधान के लिए वैज्ञानिक परीक्षण कराकर खुली नहर बनाने का आश्वासन दिया था और शुद्धिकरण में तेजी लाने की बात कही थी. सीएम का कहना था कि खान नदी का प्रदूषित जल मिलने से रोकने के लिए एक कार्य योजना बनाई जाएगी, जिसके बाद कई आलाधिकारी मंत्री मोहन यादाव, तुलसी सिलावट ने मौके का निरीक्षण भी किया. लेकिन अब तक कुछ खास कार्य देखने को नहीं मिले.
कई सालों से जारी हैं प्रयास
आपको बता दें कि क्षिप्रा शुद्धि करण के प्रयास पिछले कई सालों से जारी है. अब तक सूत्रों के अनुसार 700 करोड़ से अधिक की राशि इसके लिए स्वीकृत हो चुकी है. कुछ काम हुए कुछ नहीं हुए, जल प्रदूषण बोर्ड की 2021 तक की रिपोर्ट में भी पानी डी ग्रेड था. जिसकी वजह से मोक्ष दायनी मां क्षिप्रा के अलग-अलग घाटों पर एक समय में हर रोज हजारों श्रद्धालूओ का तांता आस्था की डुबकी के लिए लगा रहता था, वहां अब घाट गंदगी के कारण क्षिप्रा के मैले पानी के कारण कोई नहीं जाता. वहीं पर्वो पर भीड़ देखने को मिलती है. लेकिन बहुत से लोग फंवार स्नान करना पसंद करते है, जिसका मुख्य कारण इंदौर की खान नदी का गंदा पानी, शहर के गंदे नालों का गंदा पानी पवित्र क्षिप्रा में मिलना है, मामले में कलेक्टर आशीष सिंह ने भी पिछले साल संत के अनशन के दौरान ही कहा था कि हां क्षिप्रा नदी में मिल रहा है गंदा पानी, जिसको लेकर शहर में टाटा परियोजना के तहत कार्य किये जा रहे हैं. जिसको लेकर फरवरी माह में रिजल्ट देखने को मिलेंगे. लेकिन उसका भी कोई पता ठिकाना अब तक नहीं है.