उज्जैन:  उज्जैन में बाबा महाकाल की सवारी पर थूकने के मामले में 5 महीने बाद अचानक नया मोड़ सामने आ गया है. कोर्ट ने एक तरफ जहां तीनों आरोपितों को जमानत दे दी तो नहीं आरोपितों के वकील देवेंद्र सिंह सेंगर ने बताया कि शिकायतकर्ता और गवाह दोनों ही अपने बयानों से पलट गए और न्यायालय में उन्होंने कहा कि हम इन युवकों को नहीं जानते, हम तो भीड़ देख थाने पहुंचे, जहां पुलिस वालों ने हमसे साइन करवा लिए थे. अब इसी आधार पर न्यायालय ने जमानत दी है. हालांकि 1 गवाह की गवाही अभी बाकी इसलिए न्यायालय में आगे भी सुनवाई होगी.


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पुलिस एवं प्रशासन पर उठ रहे सवाल
दरअसल न्यायालय द्वारा तीनों आरोपियों को जमानत दे देने के बाद पुलिस एवं प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि शिकायतकर्ता और गवाहों के बयान से स्पष्ट हो रहा है कि पुलिस ने बिना जांच के FIR दर्ज की और निर्दोषों को जेल पहुंचवा दिया. इसके साथ ही प्रशासन पर सवाल उठ रहे है कि बिन जांच के निर्दोषों का मकान कैसे तोड़ दिया गया? अगर मकान अवैध है तो फिर ऐसे तो शहर में कहीं मकान अवैध है उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?


जानिए क्या था पूरा मामला?
गौरतलब है कि साल 2023 के जुलाई माह में बाबा महाकालेश्वरः की शाही सवारी निकाली गई थी. इसी दौरान एक इमारत की छत से कुछ लोगों ने थूका था. जिसकी शिकायत सवारी में शामिल लोगों ने पुलिस थाने पहुंच कर की थी. शिकायत के बाद पुलिस ने एक्शन लेते हुए सवारी पर थूकने का गंभीर आरोप 21 वर्षीय सावन पिता सुनील लोट निवासी भैरवगढ़ क्षेत्र उज्जैन ने एक वीडियो पुलिस को हिन्दू संगठन के माध्यम से दिखाते हुए ये आरोप अदनान और दो अन्य नाबालिगों पर लगाया था. तीनों के खिलाफ शिकायत थाना खारकुंआ पर धार्मिक भावनाएं आहत होने पर दर्ज करवाई गई थी. 


तीनों को मिली जमानत
वहीं अब 68 दिन बाद बाल न्यायालय से दोनों नाबालिग को जमानत मिल गई तो अब बालिग अदनान को 5 माह बाद जमानत मिली है. मामले में अब आरोपी बनाए गए तीनों युवकों के वकील का कहना हैं कि ज़मानत तीनों बच्चो को झूठी शिकायत और झूठी गवाही के आधार पर मिली है. बच्चे निर्दोष है, हालांकि एक और गवाही बची है, वो पूरी हो जाए पूरा प्रकरण स्पष्ठ हो जाएगा.


रिपोर्ट - राहुल सिंह राठौड़