Mahakal Temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल के मंदिर में टूटी परंपरा और साथ ही मंदिर समिति की एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. दरअसल, रविवार की सुबह 4 बजे शुरू होने वाली भस्म आरती के पहले ही श्रद्धालु भगवान के सामने जाकर नंदी हॉल और गणेश मंडप में बैठ गए. इसके देखकर मंदिर के पुजारी, समिति पर भड़क उठे और उन्होंने कहा कि यह भगवान का अपमान है. 


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क्यों श्रद्धालु को प्रवेश मिला? 
यह आपत्ति मंदिर के संजय पुजारी ने उठाई थी. इसके बाद मंदिर समिति ने उपस्थित पदाधिकारियों से माफी मांगी और उसके बाद पुजारियों ने भगवान की आरती की. आरती के बाद मंदिर समिति ने सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल के निर्देशन में बैठक भी की और पदाधिकारियों को मंदिर की परंपराओं और व्यवस्थाओं को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए. मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि बारिश के कारण श्रद्धालुओं को पहले ही प्रवेश की अनुमति दे दी गई थी. 


क्या है परंपरा?
भस्म आरती की परंपरा टूटने के बाद मंदिर के पुजारी जितेंद्र शर्मा ने मीडिया से चर्चा के दौरान भस्म आरती के नियम बताएं. उन्होंने बताया कि भस्म आरती शुरू होने से पहले सभा मंडप में भगवान वीरभद्रजी के कानों में स्वस्ति वाचन किया जाता है. घंटी बजाने और भगवान से अनुमति लेने के बाद सभा मंडप के चांदी के पट खोल दिए जाते हैं. उस दौरान वहां कोई नहीं होता है. 


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श्रद्धालु को प्रवेश की अनुमति नहीं
इसके बाद जारी भगवान का श्रृंगार उतारते हैं और पंचामृत पूजा के बाद आरती करते हैं. इसके बाद नंदी हॉल के चांदी के पट खोल दिए जाते हैं. नंदी हॉल में नंदीश्वर को स्नान कराकर पूजा की जाती है. फिर नंदी सबसे पहले भगवान महाकाल के दर्शन कराते हैं. ऐसे में किसी भी श्रद्धालु को पहले से नंदी हॉल में प्रवेश की अनुमति नहीं होती. 


रिपोर्ट: राहुल राठौर (उज्जैन)