Mp news: धार्मिक नगरी उज्जैन के शनि नव ग्रह मंदिर (Shani Nava Graha Temple Ujjain) में शनिचरी अमावस्या (Shanichari Amavasya) के पर्व को धूम धाम से मनाया जा रहा है. यहां पर हजारों की संख्या में भक्त इकट्ठा होते हैं. यह मंदिर उज्जैन सांवेर इंदौर मार्ग पर शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर स्थित है. इस मंदिर में एक परंपरा है यहां पर आने वाले भक्त (Devotee Leave Shoe In Mandir) अपने जूते चप्पल कपड़े यहीं पर छोड़ देते हैं. ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है क्या है इसके पीछे की मान्यता आइए जानते हैं.


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शनिचरी अमावस्या पर लगता है तांता
आज शनिवार है और शनिचरी अमावस्या भी है. जिसके चलते यहां पर भक्तों का सैलाब उमड़ा है. बता दें कि मोक्ष दायनी शिप्रा नदी के जल से भक्त स्नान करते हैं. इस मौके पर सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं का तांता रहता है. पुजारी राकेश बैरागी के बताया कि ऐसी मान्यता है कि साल में आने वाली करीब 3 अमावस्या पड़ती है इस दौरान जो भी भक्त इस शनि मंदिर का दर्शन करता है. उस पर शनि देव की साढ़े साती व ढैय्या का प्रभाव कम होता है.  



पनौती समझकर छोड़ते हैं कपड़े
शनिचरी अमावस्या के मौके पर श्रद्धालु भगवान को लोहा, तिल, नमक, काला कपड़ा तेल दान करते हैं. इसके अलावा भक्त घाट पर स्नान के बाद पहने हुए कपड़े व जूते चप्पल को पनौती के रूप में छोड़ जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने की पंरपरा सदियों पुरानी है जिस पर भक्त आज भी अमल करते हैं.
  
प्रशासन के पुख्ता इंतजाम 
श्रद्धालुओं के सुगम दर्शन के लिए जिला प्रशासन द्वारा व्यापक व्यवस्था की गई थी. इसकी सराहना श्रद्धालुओं ने करते हुए कहा है कि प्रशासन की व्यवस्थाओं के कारण उन्हें मंदिर में आसानी से दर्शन हुए व बिना किसी समस्या के स्नान की सुविधा मिली है. बता दें कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा में पुलिस बल, तैराक दल तैनात है, कंट्रोल रूम बनाया गया है. साथ ही साथ ड्रोन सीसीटीवी से नजर रखी जा रही है.


स्वच्छता पर विशेष ध्यान
जिस घाट पर श्रद्धालु स्नान कर रहे है उस घाट के पानी को प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट में C व D GRADE की श्रेणी में रखा गया है और यही वो घाट है जहां इंदौर की खान नदी (नाले) का पानी सीधा शिप्रा नदी में मिलता है. प्रशासन हर बार नाले के पानी को रोकने के लिए 20लाख की लागत से मिट्टी का बांध बनाता है और पानी को आगामी बारिश के मौसम तक रोकने का प्रयास करता है. इस बार भी वही किया गया और शनिचरी अमावस्या के पर्व पर नर्मदा के जल को शिप्रा में छोड़ा गया जहां से श्रद्धालुओं को स्नान करवाया जा रहा हैं हालाकि स्नान के लिए फंवारो की व्यवस्था  भी  की गई है.