राहुल राठौर/उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय में 31 साल पहले 4 लाख रुपये के वेतन घोटाला मामले में 5 अलग-अलग शिकायतों पर जिला अदालत ने मंगलवार को आरोपी लेखापाल के खिलाफ फैसला सुनाया है. फैसले में तत्कालीन आरोपी लेखापाल को 4 साल की सजा और सवा लाख राशि का अर्थदंड दिया है. दरअसल विक्रम विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति ने 27 सितंबर 1991 को थाना माधवनगर में 5 अलग अलग मामलों में जांच के बाद आवदेन दिया. पुलिस ने 5 मामलों में केस दर्ज कर आरोपी को न्यायालय पेश किया. जिसके बाद वर्ष 2022 अगस्त 30 को न्यायालय का फैसला आया है..


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जानिए पूरा मामला?
दरअसल उपसंचालक अभियोजन डॉ.साकेत व्यास ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय  में 1987 से वेतन पत्रक में धांधली को लेकर शिकायत की गई थी. शिकायत में विश्वविद्यालय  के तत्कालीन लेखापाल फजल हुसैन निवासी कामरीमार्ग द्वारा 4 साल तक 3 लाख 98 हज़ार की राशि का लगातार घोटाला किया जा रहा था. जब शिकायत पर विभाग स्तर पर जांच हुई तो पता चला आरोप सही है. इस पर विक्रम विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव ने 27 सितंबर 1991 को अलग-अलग मामलों में क्षेत्रीय थाना माधव नगर में लेखापाल फजल हुसैन के विरुद्ध आवेदन दिया था. पुलिस ने जांच के बाद फ़जल के खिलाफ पांच केस दर्ज किए थे. प्रकरण में अब तक की सुनवाई के बाद मंगलवार को अष्टम अपर सत्र न्यायाधीश संतोष प्रसाद शुक्ला ने फैसला सुनाया है.


रिटायर्ड की उम्र में आरोपी को सजा जानिए
फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि फजल को 5 मामलों में दोषी सिद्ध होने पर 4-4 साल की सजा व सवा लाख रुपये जुर्माना लगाया जाता है. प्रकरण में शासन का पक्ष अपर लोक अभियोजक रुपसिंह राठौड़ ने रखा.आरोपी फजल विक्रम यूनिवर्सिटी में राशि लेन-देन का काम देखता था. 4 लाख से भी कम राशि का केस 31 वर्ष तक चला उस समय फजल की उम्र 30 वर्ष के करीब थी.आज 60 वर्ष होने पर कोर्ट ने आरोपी फजल को चार वर्ष सजा सुनाई है.