26 January से पहले इस कपल ने संविधान को साक्षी मानकर रचाई शादी, अब Photos हो रही वायरल
Mp unique wedding : बैतुल (Betul News) में एक युवक और युवती ने संविधान को साक्षी मानकर विवाह रचाया है. हम आमतौर पर देखते हैं कि शादी ढोल डीजे गाजे बाजे के साथ होती है लेकिन इन दोनों ने अपनी शादी में संविधान (Constitution Of India) को ज्यादा तवज्जो दी है.
Betul unique wedding: मध्य प्रदेश (MP News) के बैतुल में एक अनोखी शादी (unique wedding) चर्चा का विषय बनी हुई है. आपको बता दें कि यहां पर एक युवक और युवती ने अग्नि को नहीं बल्कि संविधान को साक्षी मानकर अपना विवाह रचाया है. जिसके बाद से यह विवाह काफी सुर्खियों में आ गया है. विवाह के दौरान युवक और युवती ने कहा कि संविधान (Constitution Of India) हमें जातिगत बंधनो से परे अपनी मर्जी से विवाह करने की अनुमति देता है.
जातिवाद खत्म करना है उद्देश्य
शादी करने वाले जोड़ो ने बताया कि उनका उद्देश्य जातिगत बंधनो को खत्म करना है. दोनों लोगों का मानना है कि जब संविधान हमें अपनी मर्जी से शादी करने की अनुमति देता है. शादी के दौरान दोनों ने वरमाला से पहले संविधान के उद्देशिका का वाचन किया और एक दूसरे को वरमाला पहनाई. उनका कहना है कि इस विवाह के जरिए ये दोनों समाज के हर तबके के युवा को उनका अधिकार बताने के का काम किया है.
संविधान में रखते हैं आस्था
विवाह के बाद दर्शन बुंदेला ने लोगों को बताया कि वो पेशे से वकील है. जबकि उनकी पत्नी सरकारी स्कूल में टीचर है. दोनो लोग बचपन से एक दूसरे को जानते हैं और अच्छे दोस्त है. बचपन से ही दोनों लोग संविधान में आस्था रखते थे और संविधान के बनाए हुए नियमों पर चलने का प्रयास करते थे. शादी करने के बाद उन्होंने बताया कि संविधान में गहरी आस्था होने की वजह से उन्होंने ऐसी शादी रचाई.
जातिवाद मुक्त समाज का हो निर्माण
शादी के बाद दोनों ने बताया कि वे दोनों बचपन से ही जातिवाद के विरोधी रहें हैं, जिसके चलते दोनों ने संविधान को साक्षी मानकर विवाह रचाया है. इनका कहना है कि आने वाली पीढ़ियां संविधान के जरिए अपने अधिकारों को समझे और आने वाले समय में जातिवाद मुक्त समाज का निर्माण करें ऐसी विचारधारा है.
पहले भी हो चुकी है शादी
बैतुल में संविधान को साक्षी मानकर शादी करना की कोई नई बात नहीं है. इसके पहले भी तीन साल पहले जिले में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने मलेशिया में भारत के संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया था जिसके बाद से बाद से लगातार ये कहा जा रहा है कि इस तरह से शादी करना युवाओं को जागरूक करने के की एक पहल है.