राहुल मिश्रा/नई दिल्ली: विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री सुरेन्द्र जैन ने अवैध मतांतरण (धर्मांतरण) पर सर्वोच्च न्यायालय की चिंता से सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से केंद्रीय कानून बनाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि विभिन्न घटनाओं और इस विषय पर गठित आयोगों का यही निष्कर्ष है कि अवैध मतांतरण धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर इसे नहीं रोका गया तो देश के लिए खतरनाक स्थिति निर्माण हो जाएगी.


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केंद्रीय कानून बनाने की आवश्यकता
डॉ जैन ने कहा कि न्यायपालिका ने पहले भी कई मामलों में केंद्रीय कानून बनाने की आवश्यकता पर बल दिया था. बार-बार यह स्पष्ट हो गया है कि जबरन, धोखे से व लालच से किया गया मतांतरण अवैध है. परंतु स्पष्ट कानून के अभाव में षड्यंत्रकारियों को सजा नहीं मिल पाती. विश्व हिंदू परिषद व भारत के संतों महापुरुषों का हमेशा से ही यह मत रहा है कि अवैध मतांतरण को रोकना चाहिए.


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इसके खिलाफ महापुरुषों ने दिया बलिदान
मिशनरियों से जनजातियों की रक्षा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष और बलिदान अविस्मरणीय है. सिक्ख गुरुओं, स्वामी श्रद्धानंद, स्वामी लक्ष्मणानन्द आदि कई महापुरुषों ने मतांतरण को रोकने के लिए ही अपने बलिदान दिए थे. विहिप ने इस विषय पर कई बार प्रस्ताव भी पारित किए हैं. कई उदाहरण यह स्पष्ट करते हैं कि अवैध मतांतरण के कारण राष्ट्र का अस्तित्व और सुरक्षा खतरे में पड़ी है.


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अवैध धर्मांतरण ने देश को बांटा
विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री सुरेन्द्र जैन ने कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश का तो निर्माण भी मतांतरण के कारण हुआ था. कश्मीर, पूर्वोत्तर, बंगाल और केरल के कई जिलों में हिंदुओं की दुर्दशा के पीछे भी धर्मांतरण ही है. श्रद्धा, निकिता जैसी सैकड़ों लड़कियों की वीभत्स और बर्बर हत्या के पीछे भी मूल कारण मतांतरण ही है. इस काम के लिए विदेशी शक्तियों के समर्थन से भारत में कई राष्ट्र विरोधी शक्तियां सक्रिय हैं.


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मतांतरण है समस्या राष्ट्रव्यापी
सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस समय भारत के 8 राज्यों में धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून की व्यवस्था की गई है. परंतु यह समस्या राष्ट्रव्यापी है, जिसके पीछे अंतराष्ट्रीय षडयंत्रकारी शक्तियां सक्रियता से काम कर रही हैं. इनके द्वारा भेजी जा रही अकूत धनराशि के कई बार प्रमाण भी मिले हैं. पूर्वोत्तर व पूर्वी राज्यों में मिशनरी और देशभर में पीएफआई की गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया है कि मतांतरण के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ती रही है.


नहीं होनी चाहिए बैंक की राजनीति
सत्येंद्र जैन ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के चलते कुछ राजनीतिक दल इसका विरोध करते हैं, जबकि पहले वही राजनीतिक दल अपने शासित राज्यों में यह कानून लेकर आए थे. इससे स्पष्ट होता है की ये राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थ के कारण अपने शासन वाले राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून नहीं लाने वाले. आज के समय में अवैध मतांतरण की समस्या एक भीषण रूप धारण कर चुकी है. इस कारण केंद्रीय कानून अविलंब लाना चाहिए.