MP Vulture Census: वल्चर स्टेट का तमगा बरकरार, टाइगर, चीता और लेपर्ड के बाद बढ़ी गिद्धों की संख्या; जानें आंकड़े
Vulture State MP Census: मध्य प्रदेश ने एक बार फिर से अपने गिद्ध प्रदेश होने के तमगे को बरकरार रखा है. हाल ही में हुई गणना के आंकड़े सामने आ गए हैं इसमें गिद्धों की संख्या 10 हजार के पार पहुंच गई है.
MP Vulture Census: भोपाल। मध्य प्रदेश में वल्चर स्टेट का तमगा बचा हुआ है. 16 से 18 फरवरी के बीच हुई गणना के नतीजे सामने आ गए हैं. इसमें प्रदेश एक बार फिर देश में सबसे अव्वल आया है. यानी प्रदेश में हुई कोशिशें रंग लाई हैं. गिद्धों की संख्या में मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. यानी मध्य प्रदेश के पास टाइगर, चीता, लेपर्ड, घड़ियाल के बाद वल्चर स्टेट का भी तमगा बचा हुआ है.
हर जगहों पर बढ़ी संख्या
वन विभाग ने प्रदेश के सभी 7 टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, वन्य प्राणी अभयारण्यों में गिद्धों का गणना की है. इसके साथ ही प्रदेश के 33 जिलों के 900 से अधिक स्थानों पर गिद्धों की गणना हुई है. लगभग हर स्थान में पिछली गणना के मुकाबले गिद्धों की संख्या बढ़ गई है.
मध्य प्रदेश के पास ये तमगे
मध्य प्रदेश में पर्याप्त जंगल हैं. इस कारण यहां पर जानवरों के लिए अच्छा माहौल मिलता है. प्रदेश के पास टाइगर स्टेट, चीता स्टेट, लेपर्ड स्टेट, वुल्फ स्टेट, घड़ियाल स्टेट का दर्जा है. इसी कड़ी में 2 साल से MP के पास गिद्ध प्रदेश यानी वल्चर स्टेट का तमगा है.
लगातार बढ़ी संख्या
- अभी के आंकड़े 10 हजार से 11 हजार के आसपास हैं
- साल 2021 में गिद्धों की संख्या 9,446 थी
- साल 2019 में 7,906 गिद्ध प्रदेश में थे
- 2016 से 2019 के बीच तीन साल में करीब 864 गिद्ध बढ़े हैं
MP में 7 प्रजाति मौजूद
भारत में गिद्धों की 9 प्रजाति है इसमें से मध्य प्रदेश में 7 प्रजातियां पाई गई हैं. इनके नाम देशी गिद्ध (Indian Vulture), सफेद गिद्ध (Egyptian Vulture), चमर गिद्ध (White-rumped Vulture), राज गिद्ध (Red-headed Vulture), काला गिद्ध (Cinereous Vulture), हिमालयी गिद्ध (Himalayan Griffon), यूरेशियाई गिद्ध (Eurasian Griffion) एवं पतल चोंच गिद्ध (Slender-billed Vulture) हैं.
पर्यावरण मित्र हैं गिद्ध
अपनी ऊंची उड़ान के लिए पहचाने जाने वाले पक्षियों में गिद्धों को जाना जाता है. ये पर्यावरण में सफाई के लिए जाने जाते हैं. जंगलों के साथ-साथ आबादी में भी ये मृत जानवरों की सफाई करता है. पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में भारी कमी आई है. हालांकि, मध्य प्रदेश में हुए प्रयासों के कारण इनकी संख्या सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी है.