घोड़ी और गाड़ी छोड़ बैलगाड़ी से निकाली बारात, ऐसी निभाई परंपरा की होने लगी चर्चा
धार के गांव पडियाल में सामाजिक कार्यकर्ता गजेंद्र अलावा पारंपरिक तौर पर बैलगाड़ी से बारात निकाली. इस दौरान उनके बारात के काफिले में 5 बैलगाड़ियां रहीं, जिसमें सभी बाराती सवार हुए.
धार: आधुनिकता की चकाचौंध के बीच धार में एक समाजिक कार्यकर्ता ने अपनी शादी में परंराओं का पालन कर मिसाल पेश की है. धार के पडियाल में जब दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हनिया लेने निकला तो हर कोई उसे निहारने लगा. चांदी के आभूषण के साथ पारंपरिक वेषभूसा में सजे दुल्हे ने कहा कि उनसे अपनी परंपरा निभाई है. देसी अंदाज में निकली इस बारात की लोगों ने जमकर सराहना की.
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बारात में थी 5 बैलगाड़ियां
ये बारात शुक्रवार को धार जिले के पडियाल गांव में निकली. एमए पास और सामाजिक कार्यकर्ता दूल्हे गजेंद्र सिंह अलावा ने फालिए की ही रहने वाली अलका अलावा से सात फेरे लिए. दूल्हे की बैलगाड़ी को विशेष रूप से सजाया गया था. साथ ही अन्य चार बैलगाड़ियों पर परिवार शादी समारोह का सामान लेकर बैठे हुए थे. आगे-आगे चल रहे डीजे पर बाराती आदिवासी गीतों पर झूम रहे थे.
पहनी पारंपरिक पोशाक
दुल्हा बने गजेंद्र सिंह अलावा ने दादा, परदादा की परंपरा को निभाते हुए शेरवानी के बजाय चांदी के आभूषण पहनकर धोती, कमीज व साफा पहनकर बारात लेकर पहुंचे. उन्हें देखकर सामाजिक लोगों ने कहा कि इस शादी के माध्यम से आजकल के युवाओं को प्रेरणा देते हुए संस्कृति को पुनः जीवित करने का प्रयास किया गया है.
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पढ़ा लिखा है पूरा परिवार
दूल्हे के पिता रमेशंद्र अलावा कोणंदा गांव में टीचर हैं. काका की बेटी यानी दूल्हे की बहन उपसाना अलावा महू में मंडी इंस्पेक्टर है. गजेंद्र की बहन मधु की शादी हो चुकी है. भाई भूपेंद्र अभी कॉलेज में है. गजेंद्र भी बड़वानी में कोचिंग क्लासेस संचालित कर रहा है. वहीं, बीएड पास उनकी नई नवेली दुल्हन सरकारी टीचर बनने के लिए तैयारी में जुटी है.
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