नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था हमेशा सुरक्षा-एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती रहा है. इस बात को नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां से गुजरते हैं वहां जमीन से लेकर आसमान तक चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाती है. पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक का मुद्दा तेजी से उभर रहा है. 


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आपने भी अक्सर ज़ेड प्लस सिक्योरिटी शब्द सुना होगा, खासकर किसी नेता या राजनेता के दौरे के समय सरकार की ओर से उनकी सुरक्षा चाक-चौबंद की जाती है. उस वक्त एक्स, वाई, जे़ड और ज़ेड प्लस सिक्योरिटी के साथ उन्हें रखा जाता है, लेकिन क्या आपको पता है इनका मतलब क्या है. इन सिक्योरिटी में क्या इंतजाम किए जाते हैं. और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास किस कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई है?


राजनेताओं और बड़े अधिकारियों की सेफ्टी को देखते हुए 4 तरह की सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. जिनमें  X, Y, Z और Z प्लस कैटेगरी होती है. इनमें सबसे बड़ी सुरक्षा  Z प्लस होती है. यह ज्यादातर केंद्र सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री, न्यायाधीश, मशहूर राजनेता व बड़े ब्यूरोक्रेट्स को दी जाती है. इसके लिए सालाना करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं.


इस कैटेगरी के साथ पहले SPG भी सुरक्षा में तैनात होते हैं. लेकिन अब सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) सुरक्षा मिली हुई है. इस संबंध में संसद ने कानून पास किया है, जिसमें प्रावधान किया गया कि सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा दी जाएगी. 


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VIP के सिक्योरिटी लेवल को लेकर कौन लेता है फैसला
देशभर के VIPs के सिक्योरिटी लेवल को लेकर एक कमिटी फैसला करती है. इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारी, गृह सचिव और गृहमंत्री होते हैं. हालांकि कई मौकों पर इसमें राज्य सरकार की सिफारिश भी काम करती है. राज्य सरकार किसी वीआईपी की सुरक्षा घटाने या बढ़ाने की सिफारिश कर सकती है. पिछले कुछ समय पहले उद्धव ठाकरे के मामले में महाराष्ट्र सरकार ने मांग की थी. 


X, Y, Z और Z+ क्या-क्या होता है?
सिक्योरिटी लेवल को मुख्यतौर पर 4 कैटेगरी में बांटा गया है. जैसा कि हमने ऊपर बताया है. इसमें Z+ सबसे बड़ा और सख्त सिक्योरिटी लेवल होता है. प्रधानमंत्री Z+ के साथ स्पेशल एसपीजी कवर भी दिया जाता है.


जबकि X कैटेगरी सबसे बेसिक सिक्योरिटी लेवल है. X कैटेगरी के सिक्योरिटी लेवल में दो पुलिस कर्मियों के साथ एक पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर का सुरक्षा घेरा होता है.


Y कैटेगरी X से ऊपर की कैटेगरी है. Y कैटेगरी में 11 पुलिसकर्मियों के साथ 2 पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर का सुरक्षा घेरा होता है.


Z कैटेगरी में वीआईपी के सुरक्षा घेरे में 22 पुलिसकर्मी मौजूद होते हैं. अगर दिल्ली में मूवमेंट है तो दिल्ली पुलिस या सीआरपीएफ के जरिए एक्स्ट्रा सिक्योरिटी दी जाती है. Z कैटेगरी की सुरक्षा पाए वीआईपी के साथ एक एस्कॉर्ट कार भी चलती है. 


ऐसी होता है Z+ सिक्योरिटी कवर
Z+ कैटेगरी सबसे सख्त सुरक्षा व्यवस्था वाली कैटेगरी है. इसके ऊपर सिर्फ एसपीजी सिक्योरिटी लेवल होता है. Z+ सिक्योरिटी लेवल में 36 पुलिसकर्मियों का सुरक्षा घेरा होता है. Z+ कैटेगरी वाले सुरक्षा गार्ड्स अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं. सुरक्षाकर्मी हाईटेक औजारों से लेकर मॉर्डन तकनीक के सिक्योरिटी गैजेट्स रखते हैं. यह हाईएस्ट सिक्योरिटी लेवल होता है. इस कैटेगरी की सुरक्षा देश के प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री को ही मिलती है.


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24 घंटे सुरक्षा में मुस्तैद होते हैं गार्ड्स
इस कैटेगरी में सुरक्षा घेरा 24 घंटे तैनात रहता है. इनके सुरक्षा घेरे में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के 28 कमांडो होते हैं. इसके साथ ही एक एस्कॉर्ट, एक पायलट और उसके पीछे चलने वाली एक कार, कोबरा कमांडो और 12 होम गार्ड्स का दस्ता होता है.


पलक झपकते ही दुश्मन का सफाया
प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, एसपीजी के सटीक निशानेबाजों को हर कदम पर तैनात किया जाता है. ये शूटर एक सेकेंड के अंदर आतंकियों या उग्रवादियों को मार गिराने में सक्षम होते हैं. इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है. SPG के जवानों के पास MNF-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे आधुनिक हथियार होते हैं. MNF-2000 असॉल्ट राइफल से एक मिनट में 800 राउंड फायर हो सकते हैं.


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SPG के बारे में भी जान लीजिए
SPG का गठन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1988 में हुआ था. एसपीजी की सिक्योरिटी प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके नजदीकी परिवारवालों को दी जाती है. एसपीजी में फिलहाल 4 हजार सुरक्षागार्ड्स हैं. इनके ऊपर सालाना 330 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. 


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