विमलेश मिश्रा / मंडला: जिले में बैगा समुदाय को हैबिटेट राइट्स देने का एक और निर्णय लिया गया है. जिले के बैगा ग्राम अमवार के बाद जिले में दूसरा एवं प्रदेश में तीसरा पर्यावास अधिकार दिया गया है. 26 नवम्बर 2022 अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत (वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 नियम 2008 एवं नियम 2012 की धारा 3(1)ई के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति (बैगा समुदाय) को उनके प्राकृतिक एवं पर्यावास को अधिकार दिया जाना है. जिसके परिपालन में जिला प्रशासन द्वारा वनाधिकार अधिनियम के प्रावधान अनुसार मवई जनपद अंतर्गत अमवार ग्राम पंचायत में हेबीटेट राईट का हक पत्र प्रदान किया गया है. इसी क्रम में 26 नवंबर 2022 को जिला योजना भवन कलेक्टर हर्षिका सिंह की अध्यक्षता में जिला स्तरीय वनाधिकार समिति की बैठक हुई.


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जिले की पहचान कही जानी वाली विशेष पिछड़ी जनजाती बैगा समुदाय के अधिकारों के संरक्षण हेतु जिले के बैगा बाहुल्य परिक्षेत्र कन्हारीकला, चंगरिया एवं मेढ़ाताल ग्राम पंचायतों के 541 बैगा परिवारों को वनभूमि 664 हेक्टेयर एवं राजस्व भूमि (बड़े-छोटे झाड़) के जंगल में 435 हेक्टेयर इस प्रकार कुल 1099 हेक्टेयर भूमि में हेबिटेट राईट प्रदान किए जाने की मान्यता दी गई है.


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दिया गया तीसरा हैबिटेट राइट्स
बता दें कि मण्डला जिले में मवई जनपद के अमवार में हेबीटेट राईट प्रदान करने के बाद यह दूसरा एवं प्रदेश में तीसरा हेबीटेट राइट्स का अधिकार प्रदान किया गया है. संपूर्ण देश में भी चुनिंदा स्थानों पर हेबीटेट राईट प्रदान किया गया है. अब शासन के मंशा के अनुसार जल, जंगल एवं जमीन का वास्तविक अधिकार बैगा समुदाय को दिया जा रहा है. बैगा समुदाय अपने वनों में अपनी प्राचीन परम्पराओं के साथ निवास कर जीवन में अपनी धरोहरों को आगे बढ़ाते रहेंगे.


क्या है हैबिटेट राइट?
बता दें कि सरकार द्वारा बैगा परिवार को दिया गया हेबीटेट राईट का मुख्य उद्देश्य यह है कि इससे बैगा समुदाय के लोग, अपनी इकोनॉमिक एक्टिविटी और कल्चर्ल एक्टिविटी के लिए जहां भी आते-जाते हैं.उसके लिए कहीं भी उनकी अनइंटरप्टेड मूवमेंट हो सकेगी. इसलिए पूरे एरिया के 1099 हेक्टेयर को हेबीटेट राईट के रूप में स्वीकृत किया गया है. इससे करीब 500 बैगा परिवारों के लोग लाभान्वित होंगे.