PESA ACT लागू होने से आदिवासियों को मिले ये अधिकार, आसान भाषा में समझिए
What is PESA Act: मध्य प्रदेश में पेसा एक्ट लागू होने के बाद राज्य के आदिवासियों को कई शक्तिशाली अधिकार मिल गए हैं तो चलिए हम आपको इनको आसान भाषा में समझाते हैं.
आकाश द्विवेदी/भोपाल: मध्य प्रदेश में आज से PESA ACT लागू हो गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज मध्य प्रदेश में पेसा एक्ट लागू कर दिया है. पेसा अधिनियम के लागू होने से राज्य के आदिवासी समाज को काफी लाभ होगा, क्योंकि इस अधिनियम के लागू होने से अब स्थानीय संसाधनों पर आदिवासी समाज की पंचायतों का अधिक अधिकार हो गया है. तो चलिए आपको बताते हैं कि आदिवासी समुदाय के लिए काम करने के लिए ग्राम सभाओं को कौन से कौन से अधिकार मिल गए हैं.
जमीन का अधिकार
गांव की जमीन के और वन क्षेत्र के नक्शा, खसरा, बी-1 आदि ग्राम सभा को पटवारी और बीट गार्ड हर साल उपलब्ध कराएंगे. गांव का रिकार्ड लेने बार-बार तहसीलों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. यदि राजस्व अभिलेखों में कोई गलती पाई जाती है तो ग्राम सभा को उसमें सुधार के लिए अपनी अनुशंसा भेजने का पूरा अधिकार होगा. अधिसूचित क्षेत्रों में बिना ग्राम सभा की सहमति के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गांव की जमीन का भू-अर्जन नहीं किया जाएगा. गैर जनजातीय व्यक्ति या कोई भी अन्य व्यक्ति छल-कपट से, बहला-फुसलाकर,विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने या खरीदने की कोशिश करें तो ग्राम सभा इसमें हस्तक्षेप कर सकेगी.
यदि ग्राम सभा को ये बात पता चलती है तो वह उस भूमि का कब्जा फिर से जनजातीय भाई-बहनों को दिलवाएगी.यदि ग्राम सभा को ऐसा करने में कोई कठिनाई होती है तो वो भूमि का कब्जा वापस दिलाने के लिए मामले को उपखण्ड अधिकारी को भेज सकेगी.अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुशंसा के बिना खनिज के सर्वे,पट्टा देने या नीलामी की कार्यवाही नहीं की जा सकेगी. खनिज पट्टो की स्वीकृति में अनुसूचित जनजाति की सहकारी सोसायटियों,महिला आवेदकों और पुरूष आवेदकों को अपनी-अपनी श्रेणियों में प्राथमिकता दी जाएगी.
जल का अधिकार
गांव के तालाबों का प्रबंधन अब ग्राम सभा करेगी. ग्राम सभा तालाब / जलाशय में मछली पालन और सिंघाड़ा उत्पादन आदि गतिविधियां कर सकती हैं.इससे होने वाली आमदनी ग्राम सभा के पास जाएगी.तालाब / जलाशय में किसी भी प्रकार की गंदगी, कचरा, सीवेज आदि जमा न हो, प्रदूषित न हो. इसके लिए ग्राम सभा किसी भी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए कार्ववाई कर सकेगी.बता दें कि 100 एकड़ तक की सिंचाई क्षमता वाले तालाबों और जलाशयों का प्रबंधन संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा.
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जंगल का अधिकार
ग्राम सभा अपने क्षेत्र में स्वयं या एक समिति गठित करके गौण वनोपजों जैसे अचार गुठली,करंज बीज, महुआ, लाख, गोंद, हर्रा, बहेरा, आंवला आदि का संग्रहण, विपणन, मूल्य निर्धारण और विक्रय कर सकेगी. यदि एक से अधिक ग्राम सभा चाहें तो वे ये काम मिलकर भी कर सकती हैं. अभी तक या तो सरकार या फिर व्यापारी लघु वनोपजों का मूल्य तय किया करते थे, लेकिन अब रेट कन्ट्रोल की कमान ग्राम सभा के माध्यम से हमारे जनजातीय भाई- बहनों के हाथ में आ जाएगी. ग्राम सभा या उनकी समिति अब ये तय कर सकेगी कि एक निश्चित दर से कम रेट पर वे अपनी वनोपज नहीं बेचेंगे. यदि ग्राम सभा चाहेगी और कहेगी कि वनोपज का संग्रहण और विपणन वनोपज संघ करें.तभी वनोपज संघ ये कार्यवाही कर सकेगा.वनोपज के दामों को तय करने का अधिकार अब ग्राम सभा के हाथ में चला जाएगा और गरीब आदिवासी भाई-बहनों की वनोपज औने- पौने दामों में नहीं बिकेगी.ग्राम सभा चाहे तो तेंदू पत्ते का संग्रहण और विपणन खुद कर सकेगी.
श्रमिकों के अधिकारों का संरक्षण
ग्राम में हर पात्र मजदूर को मांग आधारित रोज़गार मिले,इसके लिए ग्राम सभा साल भर की कार्ययोजना बनाएगी और पंचायत इसको मंजूरी देगी. मनरेगा जैसी रोज़गारमूलक योजनाओं के अंतर्गत गांव में कौन-कौन से कार्य लिए जाएंगे ये ग्राम सभा ही तय करेगी.यदि मनरेगा के कार्यों के लिए बनाए गए मस्टर रोल में कोई फर्जी नाम है या फिर कोई गलती है तो ग्राम सभा इस गलती को ठीक करवाएगी.गांव से लोगों का अनावश्यक पलायन न हो,भोले-भाले जनजातीय भाई-बहनों को काम के नाम पर एजेण्टों के माध्यम से अन्य शहरों में ले जाकर मानव व्यापार, शोषण या बंधुआ मजदूरी का श्राप न झेलना पड़े इसके लिए पेसा नियमों में महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं.अब बिना ग्राम सभा को सूचित किए न तो कोई व्यक्ति काम करने के लिए गांव से बाहर जा सकेगा और न ही ग्राम सभा की बिना जानकारी के बाहरी व्यक्ति काम के लिए आ सकेगा.ग्राम सभा के पास काम के लिए बाहर जाने वाले सभी लोगों की सूची रहेगी.काम के लिए अपने गांव से ग्राम सभा को बिना बताए जाने को नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और उल्लंघन करने वाले के विरूद्ध कार्रवाई की जा सकेगी. गांव के जो लोग मनरेगा आदि में मजदूरी कर रहे हैं,उनके काम के बदले उन्हें पूरी मजदूरी मिले, इसकी चिंता भी ग्राम सभा करेगी.ग्राम सभा ये ठहराव प्रस्ताव कर 7/9 सकेगी कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम में किसी से काम न लिया जाए.यदि कोई साहूकार किसी जनजातीय भाई-बहन का शोषण करता है और उनसे निर्धारित से अधिक ब्याज लेता है, तो ऐसी स्थिति में उसकी शिकायत ग्राम सभा अपनी अनुशंसा के साथ उपखण्ड अधिकारी को भेज सकती है.यदि किसी हितग्राहीमूलक योजना में गांव के 100 हितग्राही पात्र हैं तो उनमें से मापदण्ड अनुसार मेरिट का क्रम ग्राम सभा निर्धारित कर सकती है ताकि पात्र हितग्राहियों में से उसे सबसे पहले लाभ मिले,जिसे इसकी सबसे ज्यादा और शीघ्र आवश्यकता है.
स्थानीय संस्थाओं,परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार
अब अधिसूचित क्षेत्रों में कोई भी नई शराब /भांग की दुकान ग्राम सभा की अनुमति के बिना नहीं खुलेगी. यदि 45 दिन में ग्राम सभा कोई निर्णय नहीं करती है,यह स्वय:मान लिया जाएगा कि नई दुकान खोलने के लिए ग्राम सभा सहमत नहीं है और फिर दुकान नहीं खोली जाएगी.यदि कोई शराब या भांग की दुकान गांव के अस्पताल, स्कूल, धार्मिक स्थल आदि के आस-पास हो तो उसे अन्यत्र शिफ्ट करने की अनुशंसा ग्राम सभा सरकार को भेज सकेगी. ग्राम सभा किसी स्थानीय त्योहार के अवसर पर उस दिन पूरे दिन के लिए या कुछ समय के लिए शराब दुकान बंद करने की अनुशंसा कलेक्टर से कर सकती है.एक वर्ष में कलेक्टर 4 ड्राई डे के अंतर्गत दुकान को उस क्षेत्र के लिए बंद कर सकेंगे.नशे की लत को हतोत्साहित करने के लिए ग्राम सभा न केवल किसी सार्वजनिक स्थान पर शराब का उपयोग प्रतिबंधित कर सकती है, बल्कि व्यक्तिगत रूप से उपयोग किए जाने वाले मादक द्रव्यों की सीमा भी कम कर सकती है. गांव में अवैध शराब के विक्रय को रोकने का काम भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएगा.हर गांव में एक शांति एवं विवाद निवारण समिति होगी.यह समिति परंपरागत पद्धति से गांव के छोटे-मोटे विवादों का निराकरण कराएगी और ग्राम में शांति व्यवस्था बनाए रखने में मदद करेगी.इस समिति में कम से कम एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी.नियमों में ये भी प्रावधान किया गया है कि यदि ग्राम के किसी व्यक्ति के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज हो तो इसकी सूचना पुलिस थाने द्वारा तत्काल गांव की शांति एवं विवाद निवारण समिति को दी जाएगी.अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायतें बाजारों और मेलों का प्रबंधन करने में सक्षम होंगी.ग्राम सभा द्वारा इस बात की भी चिंता की जाएगी कि गांव के स्कूल ठीक चले, स्वास्थ्य केन्द्र ठीक चले, आंगनवाड़ियाँ ठीक चले.नियमों में ग्राम सभाओं को निम्न संस्थाओं का निरीक्षण एवं मॉनीटरिंग करने की शक्ति दी गई है.स्कूल,स्वास्थ्य केन्द्र,आंगनवाड़ी,आश्रम शालाएं,छात्रावास,जल, जंगल, जमीन, श्रमिक, परंपराएं एवं संस्कृति ये पेसा नियमों का पंचामृत है। आज से ये नियम पूरे मध्यप्रदेश में लागू हो रहे हैं.