Samrat Chaudhary: MP में यादव के बाद बिहार में कुशवाहा, जानिए सम्राट चौधरी की ताजपोशी के पीछे का समीकरण!
Bihar Politics Update: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार गिर गई है. अब एनडीए सरकार बन गई है. बीजेपी ने सम्राट चौधरी को पार्टी विधायक दल का नेता बनाया है. आइए आपको बताते हैं सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाने का समीकरण.
Who is Samrat Chaudhary: जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने आज बिहार में महा- गठबंधन सरकार से नाता तोड़ लिया है. जिसके बाद वहां महा- गठबंधन की सरकार गिर गई और अब एक बार फिर एनडीए सरकार बन गई. बीजेपी की बात करें तो पार्टी ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा दोनों को बिहार का डिप्टी सीएम बनाया है. जिसमें सम्राट चौधरी की ताजपोशी बहुत अहम है तो आइए आपको बताते हैं इसके पीछे का समीकरण...
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आप जानते हैं कि हमारे देश में सबसे बड़ी आबादी ओबीसी वर्ग की है. खास बात ये है कि ज्यादातर पिछले कुछ चुनावों में ओबीसी वर्ग ने बीजेपी को वोट दिया है. यही बीजेपी की सफलता का कारण भी है. बिहार में सबसे बड़ी ओबीसी वर्ग की जातियों में यादव, कुशवाहा और कुर्मी शामिल है. यादवों की साधने की बात करें तो बिहार में बीजेपी से नित्यानंद राय, रामकृपाल यादव, अशोक यादव जैसा नेता इस जाति से आते हैं. नित्यानंद राय केंद्रीय मंत्री हैं. वो पहले बिहार के प्रदेश अध्यक्ष भी थे. इसके अलावा हाल ही में मध्य प्रदेश में भी बीजेपी ने यादव समुदाय से आने वाले मोहन यादव को सीएम बनाया. यादव के साथ बीजेपी की नजर कुशवाहा जाति पर थी, जिसके चलते पिछले साल ही बीजेपी ने सम्राट चौधरी को बिहार का अध्यक्ष बनाया. अब उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया है, जिससे बिहार लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी को काफी फायदा हो जा सकता है.
सम्राट चौधरी की ताजपोशी के पीछे का समीकरण
पहले सम्राट चौधरी को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपना और अब डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी देने के दो अहम कारण हैं. पहला कारण उनकी जाति है, जो कोइरी या कुशवाहा है और दूसरा कारण है उनका युवा और आक्रामक होना. जो तेजस्वी यादव के खिलाफ प्रोजेक्ट करने के लिए बहुत शानदार विकल्प है. सम्राट चौधरी को उप-मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देने से पहले बीजेपी ने उन्हें बिहार बीजेपी अध्यक्ष बनाया था. जिसका मकसद कोइरी ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाना था. सम्राट चौधरी युवा नेता हैं. वह आक्रामक और बेबाक हैं. सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से आते हैं. गौरतलब है कि बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में जाति एक अहम भूमिका निभाती है. बिहार में यादव लगभग 15% आबादी है. जो सबसे बड़े ओबीसी जाति है. वहीं, उसके बाद कुर्मी-कोइरी लगभग 7% (2.8785% कुर्मी + 4.2120% कोइरी) के साथ दूसरे स्थान पर आते हैं. विशेष रूप से, कुर्मी-कोइरी समूह में कोइरी की बड़ी हिस्सेदारी है.
कौन हैं सम्राट चौधरी?
सम्राट चौधरी का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ था. उनके पिता शकुनी चौधरी समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. सम्राट चौधरी ने अपने पिता से ही राजनीति का ककहरा सीखा. सम्राट चौधरी ने 1990 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और राजद में शामिल हुए. उन्हें जल्द ही पार्टी में अहम जिम्मेदारियां सौंपी गईं. 1999 में उन्हें राबड़ी देवी सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया. इसके बाद वो 2000 और 2010 में वह परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए. 2014 में उन्हें नगर विकास विभाग का मंत्री बनाया गया. साल 2018 में वो राजद छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए. जिसके बाद एनडीए सरकार में उन्हें पंचायती राज मंत्री बनाया गया. 2023 में उन्हें बिहार बीजेपी की अध्यक्ष जिम्मेदारी मिली. इस पद पर रहते हुए उन्होंने बिहार में बीजेपी के विपक्ष में रहते हुए पार्टी में नई उर्जा भर दी.