राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: मंगलवार 21 मार्च को दिन और रात की अवधि 12-12 घंटे की रहने वाली है. प्राचीन नगरी अवंतिका उज्जैनी हमेशा से काल गणना का केंद्र रही है. धार्मिक नगरी के साथ विज्ञान की नगरी भी प्राचीन काल से इसे कहा जाता रहा है. यहां प्रत्येक वर्ष 2 से 3 बार अलग-अलग प्रकार की खगोलीय घटना को अलग-अलग यंत्रों के माध्यम से जीवाजी वेधशाला में देखा जा सकता है. जहां मौजूद जानकार(गाइड) टूरिस्ट व छात्र छात्राओं को घटना का विवरण समझाते हैं. आज मंगलवार के दिन की बात करें तो आज का दिन 21 मार्च खगोलीय घटना के लिए विशेष है. आज से सूर्य उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करते हैं. आज दिन और रात बराबर 12-12 घण्टे के होते हैं.


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आज के बाद से दिन होने लगेंगे बड़े 
बता दें कि विज्ञान की दृष्टि से 21 मार्च को सूर्य की किरणें सीधी हो जाती है.वेधशाला के अधीक्षक राजेंद्र प्रकाश गुप्ता के अनुसार आज सूर्य की किरणें सीधी हो जाती हैं. आज के बाद से दिन बड़े होने लगेंगे, सूरज की गर्मी बढ़ेगी और ये प्रक्रिया 21 जून तक निरंतर जारी रहेगी. जिसके बाद 21 जून को दिन सबसे बड़ा व रात सबसे छोटी होगी. घटना को वेधशाला में दो यंत्रों के माध्यम से देखा जाता है. एक शंकु व एक नाड़ी वाले यंत्र से नाड़ी वाले यंत्र के दो भाग है, उत्तरी और दक्षिण गोलार्ध. इस दिन सूर्य भूमध्य रेखा पर लंबवत रहता है.


आकाश और धरती के मध्य में स्थित है उज्जैन
महाकाल की भूमि उज्जैन को लेकर कई रहस्य हैं. कहा जाता है कि उज्जैन पूरे आकाश का मध्य स्थान है. यानी यहीं आकाश का केंद्र है. साथ ही उज्जैन पृथ्वी का भी केंद्र भी है. यानी यही वो जगह है, जहां से पूरे ब्रह्मांड का समय निर्धारित होता है. इसी जगह से ब्रह्मांड की कालगणना होती है. समय का केंद्र मानी जाने वाली इस धरती को इसलिए महाकाल की धरती कहा जाता है.